शेखचिल्ली बने हैं फुटबाल के बड़बोले

AIFF treating like Shekh Chilli

जब से भारतीय फुटबाल से प्रफुल पटेल की विदाई हुई है और नई टीम अस्तित्व में आई है बडबोलों द्वारा , गाए बगाहे एक ही राग अलापा जा रहा है – भारत विश्व कप खेलने के लिए कमर कस रहा है। साथ ही शाजी प्रभाकरण को एआईएफएफ से बाहर कर यह संदेश दे दिया गया है कि फेडरेशन में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा।

एशियाड, मर्देका कप और अब विश्व कप क्वालीफायर में हार का सिलसिला बदस्तूर जारी है। चंद दिनों के लिए फीफा रैंकिंग में सौ से नीचे जरूर उतरे लेकिन अब फिर से हार दर हार से रैंकिंग में भारी गिरावट का सिलसिला चल निकला है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि फेडरेशन के पास कोई ठोस योजना नहीं है। कैसे देश में फुटबाल को क्रिकेट की तरह लोकप्रिय बनाया जा सकता है और कैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी तैयार किए जा सकते हैं इस बारे में किसी को सोचने की फुरसत नहीं है। बस झूठ दर झूठ बोलने की होड़ सी लगी है।

सच तो यह है कि एआईएफएफ के सर पर विश्व कप का भूत सवार है। उसके चारण भाट पूरे देश के फुटबाल प्रेमियों को बरगलाने पर लगे हैं। विश्व कप के ख्वाब दिखा कर अपनी खामियों को छिपाने का असफल प्रयास कर रहे हैं। देश के फुटबाल प्रेमी इसलिए खफा हैं क्योंकि फीफा कप खिलाने का दावा करने वाले महाद्वीपीय स्तर की टीम भी तैयार नहीं कर पा रहे।

यह ना भूलें कि एशियाई खेलों में भारतीय टीम अपनी कबलियत से शामिल नहीं हुई थी। सही मायने में वही एशियाड में भाग लेने का हकदार होता है,जोकि पहली आठ में शामिल हो और इस कसौटी पर भारत कतई खरा नहीं उतरता। तो फिर कैसे मान लें कि भारत अगले कुछ सालों में फुटबाल में बड़ी ताकत बन जाएगा और विश्व कप खेल जाएगा।

कुल मिला कर भारतीय फुटबाल को अभी लंबा सफर तय करना है। जरूरी यह है कि पहले भारतीय फुटबाल महाद्वीप में बड़ी ताकत बने । तत्पश्चात विश्व कप खेलने का दम भरे। यह ना भूलें कि विश्व फुटबाल में कम से कम साठ देश ऐसे हैं जिन्हें हराने की ताकत भारतीय फुटबाल में नहीं है। एशिया के पहले आठ देशों में स्थान बनाने में भी भारत को सालों लग सकते हैं। बेहतर यह होगा कि भारतीय फुटबाल के आका बेमतलब की हांकने की बजाय जमीनी स्तर पर काम करें । सही मायने में फुटबाल में भारत अभी बचपनें से बाहर नहीं निकल पाया है। कल्याण चौबे और उनकी टीम यदि बड़बोलेपन से जल्दी बाहर निकल पाई तो शायद भारत इक्कीसवीं सदी में विश्व कप खेल जाए।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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