आईपीएल 16 का बिगुल बज गया है, जिसकी बुलंद आवाज गांव , गली मोहल्ले से होती हुई पूरे देश और दुनिया भर में सुनाई दिखाई पड़ रही है । यह सही है कि फुटबाल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है और फुटबाल विश्व कप लगभग एक महीने तक चलता है लेकिन आईपीएल दो महीने तक चलेगा जिसमें खिलाडीऔर टीमों के साथ साथ आयोजक , प्रायोजक और क्रिकेट प्रेमी ही नहीं अन्य बहुत से लोगों की भागीदारी तय होती है ।
बेशक , आईपीएल के कारोबार में हजारों करोड़ इधर से उधर होते हैं । खिलाडी , कोच , सपोर्ट स्टाफ छोटे बड़े कर्मचारी और कई अन्य संस्थाएं और संगठन अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं और कमाते खाते हैं । इसी प्रकार बाकी खेलों में भी लीग आयोजन का प्रचलन शुरू हुआ और कुछ एक खेल ही हैं जोकि लीग मुकाबलों को जारी रख पाए हैं । कुछ के लीग आयोजन एक दो साल में ठप्प हो गए ।
सवाल यह पैदा होता है कि हॉकी , फुटबाल, वॉली बाल , बैडमिंटन , टेनिस , कुश्ती , मुक्केबाजी जैसे खेलों के लीग मुकाबले टिकाऊ क्यों नहीं हो पाते? सबसे बड़ा कारण यह है कि इन खेलों के कर्त्ता धर्ता अपने खेलों के लिए गंभीर नहीं हैं । उनका मकसद महज कुर्सी हथियाना और सालों साल पद पर बने रहना और सत्ता का दुरूपयोग करना होता है । वरना क्या कारण है कि हॉकी और फुटबाल जैसे खेलों में बड़ी ताकत होने के बावजूद तरक्की नहीं कर पाए ।
आईपीएल के पिछले सीजनों पर नज़र डालें तो कई खिलाड़ी अऱबपति बन गए, जिनमें रोहित शर्मा , महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली ने 15 सीजन खेल कर 175 से 180 करोड़ तक कमाए । पांच खिलाडी ऐसे हैं जिन्होंने सौ करोड़ की कमाई की है । बाकी खेलों में ऐसे शौभाग्यशाली खिलाडी खोजे भी नहीं मिल पाएंगे । जहाँ तक बाकी खेलों की बात है तो सुनील क्षेत्री और दो चार अन्य खिलाडियों को छोड़ ज्यादातर एक सीजन में एक करोड़ का भी आंकड़ा नहीं छू पाते । हैरानी वाली बात यह है कि पीवी सिंधु , सुशील , योगेश्वर , सायना , हॉकी खिलाड़ियों और अन्य खेलों से जुड़े खिलाडियों को बस 30 से 50 लाख रूपए ही मिल पाए । तो फिर भला कोई बच्चा और युवा ओलम्पिक खेलों से क्यों जुड़ना चाहेगा ?
इसमें दो राय नहीं कि क्रिकेट या किसी भी खेल में हर खिलाड़ी का पहला सपना अपने देश के लिए खेलने का होता है लेकिन राष्ट्रीय टीम में स्थान बनाए बिना भी कुछ खिलाडी आईपीएल खेल कर करोड़ों कमा लेते हैं । कई एक तो देश के लिए भी नहीं खेल पाते लेकिन करोड़ों में खेल कर अपना गम गलत कर लेते हैं ।
अगले 60 दिनों तक समाचार पत्र पत्रिकाओं, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर आईपीएल बाकी खेलों की पुंगी बजाता और उन्हें चिढ़ाता नज़र आएगा और बाकी खेल बेशर्मी के साथ क्रिकेट को कोसेंगे लेकिन क्रिकेट से सबक कदापि नहीं सीखेंगे ।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |