केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान से सर्दी के मौसम में सियासत गरमा सकती है। शाह ने कश्मीर के दौरे पर जहां कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को निशाने पर लिया तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक नया कश्मीर बनाने के संकेत दिए। शाह ने किताब के विमाेचन के मौक पर महर्षि कश्यप का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हो सकता है उन्हीं के नाम पर कश्मीर नाम पड़ा हो।
अमित शाह का बड़ा बयान
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा था है और रहेगा, अलग करने का प्रयास लोगों ने किया था, लेकिन उस बाधा को भी हटा दिया गया है। इतिहास लुटियंस दिल्ली में बैठकर लिखा नहीं जाता, उसको जाकर समझना पड़ता है। शासकों को खुश करने के लिए इतिहास लिखने का वक्त जा चुका है। मैं भारत के इतिहासकारों से अपील करता हूं कि प्रमाण के आधार पर इतिहास को लिखें। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम जानते हैं कि कश्मीर को कश्यप की भूमि के नाम से जाना जाता है, शायद हो सकता है कि उनके नाम से कश्मीर का नाम पड़ा हो।
अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाने पर बोले अमित शाह
अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने पर भी बात की। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 और 35ए ये हमारे देश को एक प्रकार से हमारे देश के साथ कश्मीर को एकरूप होने से रोकने वाले योगदान थे। उस वक्त भी जनता यह नहीं चाहती थी। संविधान सभा में भी बहुमत नहीं चाहता था, कि धारा 370 संविधान का हिस्सा बनें। पीएम मोदी के मजबूत संकल्प ने इसे कश्मीर से हटाया, जिसके बाद से कश्मीर और पूरे देश में विकास शुरू हुआ। अनुच्छेद ने 370 ने घाटी में अलगाववाद के बीज बोये जो बाद में आतंकवाद में बदल गए। अनुच्छेद 370 ने यह झूठ फैलाया कि कश्मीर और पूरे देश के बीच संबंध अस्थाई है।”
अमित शाह ने कहा इतिहास हमेशा विशाल और कड़वा होता है
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस पुस्तक के विमोचन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “इतिहास हमेशा विशाल और कड़वा होता है. 150 साल का एक कालखंड था जब इतिहास का अर्थ दिल्ली दरीबा से बल्लीमारान तक और लुटियंस से जिमखाना तक था. इतिहास यहीं तक सीमित था. अब समय आ गया है कि हम शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्त हो जाएं, मैं भारत के इतिहासकारों से अपील करता हूं कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास के बारे में लिखें.”
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