नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की ओर से जारी की गई पहली उम्मीदवार सूची ने पार्टी के भीतर भारी असंतोष को जन्म दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ओमी खजुरिया के समर्थकों ने उम्मीदवार सूची में उनका नाम न होने पर प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना के दफ्तर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। नाराज कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी ने ‘पैराशूट कैंडिडेट्स’ को तरजीह दी है, जबकि जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले नेताओं की अनदेखी की गई है।
सोमवार को जारी हुई पहली सूची में जम्मू नॉर्थ सीट से शाम लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया गया था, जिससे ओमी खजुरिया के समर्थक भड़क गए। उन्होंने बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की और कहा कि उन्हें ‘पैराशूट कैंडिडेट्स’ नहीं, बल्कि जमीनी कार्यकर्ता चाहिए, जो क्षेत्र के मतदाताओं से जुड़े हों और उनकी समस्याओं को समझते हों।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रदर्शनकारियों ने रविंद्र रैना के दफ्तर का घेराव कर लिया और उन्हें अपने केबिन में बंद होना पड़ा। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जब तक ओमी खजुरिया को टिकट नहीं मिलता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी की ओर से बाद में इस पहली सूची को वापस ले लिया गया और एक संशोधित सूची जारी की गई, लेकिन कार्यकर्ताओं के गुस्से को शांत करने में यह कदम असफल रहा। उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाया कि बाहरी उम्मीदवारों को थोपने से क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ेगा और इसका चुनावी परिणाम पर भी असर पड़ेगा।
रविंद्र रैना ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे हर कार्यकर्ता की बात सुनेंगे और उनके साथ मिलकर पार्टी के हित में निर्णय लेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे शांतिपूर्वक अपनी चिंताओं को सामने रखें और किसी भी स्थिति में पार्टी अनुशासन को बनाए रखें।
जम्मू-कश्मीर बीजेपी में उठे इस अंदरूनी कलह से पार्टी की चुनावी तैयारियों को झटका लगा है। पार्टी को अब अपने जमीनी कार्यकर्ताओं का भरोसा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे, ताकि चुनावी मैदान में वे एकजुट होकर मुकाबला कर सके।
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