दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे की बदहाली पर सख्त सरकारी कार्रवाई: इंजीनियर बर्खास्त, ठेकेदार पर ₹50 लाख का जुर्माना

दिल्ली वडोदरा एक्सप्रेसवे

दिल्ली: हाल ही में दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे की खराब स्थिति पर जनता और सोशल मीडिया में काफी नाराजगी देखने को मिली। एक वायरल वीडियो में दिखाया गया कि इस एक्सप्रेसवे पर तेज़ रफ्तार से चल रही गाड़ी सड़क की ऊंचाई-नीचाई और गड्ढों की वजह से हवा में उछल गई, जिससे सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए। इस घटना के बाद, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने त्वरित कार्रवाई की, जिससे इस मामले की गहन जांच शुरू हो गई।

सोशल मीडिया का दबाव और तत्काल प्रतिक्रिया

यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तेजी से चर्चा में आई। दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे, जो अलवर और दौसा के क्षेत्रों से होकर गुजरता है, पर निर्माण में हुई खामियों के कारण सड़क की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। यह वीडियो अलवर क्षेत्र का था, जहां सड़क की ऊंचाई-नीचाई में असमानता और गड्ढों की वजह से तेज रफ्तार गाड़ियों को भारी नुकसान हो रहा था। अलवर और दौसा क्षेत्र में इन खामियों की वजह से सड़क पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हो रही थीं।

सरकार का सख्त रुख

सोशल मीडिया पर दबाव बढ़ने के बाद, एनएचएआई ने कार्रवाई करते हुए तुरंत संबंधित इंजीनियरों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। सबसे पहले, निर्माण कार्य की निगरानी में लापरवाही बरतने के कारण इंजीनियरिंग टीम के लीडर-कम-रेजिडेंट इंजीनियर को बर्खास्त कर दिया गया। इसके साथ ही साइट इंजीनियर को भी पद से हटा दिया गया। ठेकेदार पर समय पर मरम्मत कार्य नहीं करने और खामियों को नजरअंदाज करने के लिए ₹50 लाख का भारी जुर्माना लगाया गया। इसके अतिरिक्त, प्रोजेक्ट डायरेक्टर और मैनेजर (टेक्निकल) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

एक्सप्रेसवे की मरम्मत और विशेषज्ञ टीम

सरकार ने एक्सप्रेसवे के क्षतिग्रस्त हिस्सों की अस्थायी मरम्मत का काम तुरंत शुरू कर दिया है। बारिश खत्म होने के बाद स्थायी सुधार कार्य किए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह की समस्या दोबारा न हो। इसके साथ ही, इस मामले की विस्तृत जांच के लिए आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी गांधीनगर के विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है। यह टीम एक्सप्रेसवे के निर्माण में हुई गलतियों की पहचान करेगी और सुधारात्मक कदम सुझाएगी।

श्रीराम इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली को सड़कों से नमूने एकत्र कर उनका परीक्षण करने का जिम्मा सौंपा गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्माण में इस्तेमाल किए गए सामग्री की गुणवत्ता उपयुक्त है या नहीं। यह जांच टीम निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी नजर रखेगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए सुझाव देगी।

दुर्घटनाओं में वृद्धि

दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे पर तेज़ रफ्तार गाड़ियों के चलते कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हालांकि अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटे तय की गई है, लेकिन कई वाहन चालकों ने इस सीमा का उल्लंघन किया है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, वाहन 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी चलाए गए, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया। सड़क पर गड्ढों और बारीक गिट्टी की वजह से वाहनों का संतुलन बिगड़ रहा था, जिससे कई दुर्घटनाएं हुईं।

विशेषज्ञों ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया और एक्सप्रेसवे की खामियों के कारण दुर्घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी की जांच की। एनएचएआई ने सड़क की निगरानी के लिए अब ऑनलाइन चालान की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि गति सीमा का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।

सड़क सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर से देश में सड़क सुरक्षा और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कई लोग सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि सड़कों की नियमित जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए। एक्सप्रेसवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं में किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

इस घटना के बाद सरकार ने यह स्पष्ट किया कि भविष्य में सड़क निर्माण में किसी भी तरह की लापरवाही को सख्ती से लिया जाएगा। ठेकेदारों और इंजीनियरों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि परियोजनाएं समय पर और गुणवत्ता मानकों के अनुसार पूरी हों।

भविष्य के लिए नीतिगत बदलाव

इस मामले ने नीतिगत बदलावों की आवश्यकता को भी उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सड़कों की नियमित निगरानी और समय पर मरम्मत कार्य अनिवार्य होना चाहिए। इसके साथ ही, ठेकेदारों और इंजीनियरों की जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे पर उठाए गए इस सख्त कदम को एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि भविष्य में सड़क निर्माण के क्षेत्र में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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