New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उस समय बड़ा झटका लगा जब अमेरिका की संघीय अदालत ने उनके पांच प्रमुख टैरिफ कार्यकारी आदेशों को अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन टैरिफों को लागू करने के लिए कांग्रेस की अनुमति आवश्यक थी और ट्रंप प्रशासन ने अपनी संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन किया। अदालत के फैसले ने ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति को करारा झटका दिया है, जिससे दुनिया के कई देशों को राहत मिली है।
IEEPA के दुरुपयोग का आरोप
संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन ने 1977 के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियों अधिनियम (IEEPA) का अनुचित उपयोग करते हुए व्यापक टैरिफ लगाए थे। अदालत ने यह भी कहा कि व्यापार घाटे को ‘असामान्य और असाधारण खतरा’ मानना कानूनी रूप से तर्कसंगत नहीं था। इसके साथ ही न्यायालय ने अमेरिकी सीमा शुल्क विभाग को तत्काल प्रभाव से इन टैरिफों की वसूली रोकने का निर्देश दिया।
व्हाइट हाउस ने फैसले पर जताई आपत्ति
ह्वाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने अदालत के निर्णय को ‘स्पष्ट रूप से गलत’ बताया और कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा की वास्तविकताओं की अनदेखी करता है। उन्होंने बताया कि सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने पर विचार कर रही है। यदि यह निर्णय कायम रहता है, तो ट्रंप प्रशासन को भविष्य में टैरिफ लगाने के लिए 1974 के व्यापार अधिनियम जैसे अन्य प्रावधानों का सहारा लेना पड़ेगा।
व्यापार जगत को मिली राहत
अमेरिकी छोटे व्यापारियों और व्यापार संघों ने इस फैसले का स्वागत किया है। ट्रंप के टैरिफ आदेशों के चलते बढ़ी लागत, आपूर्ति श्रृंखला में विघटन और व्यापारिक संबंधों में तनाव जैसे मुद्दों से अब राहत मिलने की उम्मीद है। इस फैसले ने अमेरिकी संविधान में सत्ता पृथक्करण के सिद्धांत को मजबूती दी है और यह स्पष्ट कर दिया है कि व्यापार नीति तय करने में राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं।
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Ms. Pooja, |