मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मानना है कि ‘ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें इस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती। अब, संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और इस राज्य के राज्यपाल द्वारा निहित या प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों को अपने अधीन करती हूं। अधिसूचना में कहा गया है कि विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
4 दिन पहले बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुनने में ‘विफल’ रही। बीरेन सिंह ने 4 दिन पहले ही अपने पद से इस्तीफा दिया था। खबर थी कि बीजेपी विधायक कांग्रेस की तरफ से राज्य विधानसभा में लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन कर सकते हैं। उसी दिन बीजेपी के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और राज्य पार्टी अध्यक्ष ए शारदा देवी ने मुख्यमंत्री पद से बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद नेतृत्व संकट के बीच इंफाल में राजभवन में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी।
कांग्रेस ने किया BJP पर हमला
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा नीत एनडीए गठबंधन पर अपने राजनैतिक हमलें तेज कर दिए। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगियों को 2022 में मणिपुर में बहुमत मिला, लेकिन उनकी राजनीति के कारण 15 महीने बाद ‘भारी त्रासदी’ हुई। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया, क्योंकि गृह मंत्री राज्य का प्रबंधन करने में स्पष्ट रूप से विफल रहे जबकि उन्हें ये जिम्मेदारी प्रधानमंत्री ने सौंपी थी। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन राज्य के सामाजिक ताने-बाने के बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के बाद लगाया गया।
पात्रा ने की राज्यपाल से मुलाकात
इससे पहले संबित पात्रा के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की थी। 9 फरवरी को हिंसा से प्रभावित राज्य के मुख्यमंत्री पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद नेतृत्व संकट पैदा हो गया है। राज्य विधानसभा के दो लगातार सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने के अंतराल की समाप्ति पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘देखते हैं क्या होता है।’
जानिए क्या है राष्ट्रपति शासन?
भारत में राष्ट्रपति शासन, जिसे केंद्रीय शासन या राज्यपाल शासन के रूप में भी जाना जाता है, राज्य सरकार के निलंबन और केंद्र सरकार की तरफ से प्रत्यक्ष शासन लागू करने को संदर्भित करता है। ऐसा तब होता है जब किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है। संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लागू होने से राज्य सरकार के सभी कार्य केंद्र को और राज्य विधानमंडल के कार्य संसद को हस्तांतरित हो जाते हैं। केवल हाई कोर्ट्स का कामकाज अपरिवर्तित रहता है। इस अवधि के दौरान, राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख बन जाता है, और विधानसभा या तो भंग हो जाती है या स्थगित हो जाती है।
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