नई दिल्ली: पूर्व IAS ट्रेनी पूजा खेडकर ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी उम्मीदवारी रद्द किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने खेडकर पर आरोप लगाए कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी की है और नियमों का उल्लंघन किया है। इसके आधार पर UPSC ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी। इस पर खेडकर ने कोर्ट में तर्क दिया कि UPSC के पास उनकी नियुक्ति के बाद उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है। खेडकर का दावा है कि एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद, केवल केंद्र सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ही इस संबंध में कार्रवाई कर सकता है।
खेडकर का बचाव और आरोपों का खंडन
खेडकर ने कोर्ट में UPSC के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उन्होंने कोई गलत जानकारी प्रस्तुत नहीं की है। उनके अनुसार, उन्होंने UPSC को अपने बायोमेट्रिक डेटा के माध्यम से सही पहचान दी थी, और सभी प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़, जैसे कि शैक्षणिक प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि आदि, सत्य और सुसंगत हैं। उन्होंने UPSC द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को गलत और मनगढ़ंत बताया।
कोर्ट में UPSC और खेडकर के तर्क
UPSC के अनुसार, खेडकर ने पिछले 15 सालों में कई बार परीक्षा दी है और इस प्रक्रिया में कई बार अपनी पहचान बदलकर अनुचित तरीके से लाभ उठाया। UPSC का दावा है कि खेडकर ने अपने नाम, माता-पिता के नाम, तस्वीर और हस्ताक्षर बदलकर परीक्षा दी, जिससे उन्होंने नियमों का उल्लंघन किय। वहीं, खेडकर के वकील ने कोर्ट में कहा कि खेडकर को रद्दीकरण का आधिकारिक आदेश नहीं दिया गया, बल्कि केवल एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि खेडकर को उचित मंच पर अपनी याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए।
आगे की प्रक्रिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने खेडकर को उचित मंच पर अपनी याचिका प्रस्तुत करने की अनुमति दी है और UPSC को आदेश दिया है कि वे खेडकर को उम्मीदवारी रद्द करने का आधिकारिक आदेश जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं। इस मामले में आगे की सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से खेडकर के भविष्य का निर्धारण होगा।
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