उत्तराखंड के जोशीमठ में आए संकट को लेकर PMO में हुई हाई लेवल बैठक, भू-धंसाव से निपटने का बना प्लान

joshimath sinking

गौरतलब है कि जोशीमठ में भू-धंसाव मामले पर पीएमओ की एक बैठक में प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव ने जोशीमठ के स्थिति की समीक्षा की. इसी के साथ उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने जोशीमठ मामले पर पीएमओ को पूरी जानकारी दी, इसमें बताया गया कि भू-धंसाव से जो प्रभावित परिवार हैं उनको सुरक्षित स्थानों पर भेजने का प्रयास किया जा रहा है. पीएमओ की ओर से जो बयान जारी की गई है उसमें जोशीमठ मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अधिक चिंतित हैं, मोदी जी ने स्वयं मुख़्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ के पूरे स्थिति का जायजा लिया है और हर संभव मदद प्रदान करने का विश्वास दिलाया है. वहीं बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार की एजेंसियां और विशेषज्ञ लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करने में राज्य सरकार की पूर्ण रूप से सहायता कर रहें हैं. आपको बता दें कि एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पर पहुंच चुकी है. बताया जा रहा है कि सचिव सीमा प्रबंधन और एनडीएमए के सदस्य आज यानि कि 9 जनवरी को उत्तराखंड के दौरे पर निकलेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे.

बैठक में बताया गया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन, प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञों की टीम हालात का पूरा जायजा लेकर रिपोर्ट पेश करेंगी.

जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉ. सुखवीर सिंह संधू ने बीते रविवार को जोशीमठ पहुंचकर
भू-धंसाव क्षेत्रों का अपनी आँखों से निरीक्षण कर मौजूदा स्थिति का जायजा लिया है. इस वक्त उनके साथ डीजीपी पुलिस अशोक कुमार एवं सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम भी मौजूद थे. मुख्य सचिव का कहना है कि देश के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम के द्वारा भू-धंसाव के कारणों का पता लगाया जा रहा है, और साथ ही यह भी कहा कि जैसे ही कारणों का पता लग जाता है उसके बाद जो भी ट्रीटमेंट्स आवश्यक होगा वह यहां पर प्रदान किया जाएगा, एवं तत्कालिक रूप से नागरिकों की सुरक्षा बेहद आवश्यक है. जिसके लिए स्थानीय प्रशासन लगातार अपना काम कर रही है. इसके पश्चात उन्होंने वहां के स्थानीय नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि किसी भी दशा में रिस्क लेने का प्रयास ना करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में कभी भी नुकसान हो सकता है. साथ ही उनका कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा जहां पर व्यवस्था की गई है, वहां पर इन्हें जल्दी से जल्दी शिफ्ट किया जाए. बताया जा रहा है कि इस दौरान मुख्य सचिव ने मनोहर बाग, सिंग्धार, मारवाड़ी स्थित जेपी कंपनी प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. वहीं जिलाधिकारी

हिमांशु खुराना ने मुख्य सचिव को आपदा की स्थिति के बारे में पूर्ण रूप से अवगत करवाया.
इसी के साथ आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का कहना है कि अब तक 603 मकानों में दरारें आ चुकी हैं और इससे प्रभावित कुल 68 परिवारों को अब तक निकाला जा चुका है. वहीं सचिव आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बताया गया कि 88 परिवारों को सुरक्षित निकाला गया है.
आपको बता दें कि जोशीमठ पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है. जमीनों में दरारें आने के कारण 600 से भी अधिक घर तबाही के कगार पर खड़े हैं. डेंज़र जोन में आने वाले इन घरों के लोगों को यहां से जल्दी निकलने का आदेश दिया गया है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इसका कोई हल नहीं निकाला गया तो बड़ी तबाही आने की संभावना है.

Pooja Kumari Ms. Pooja,
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