कोलकाता में लागू होगा नया कानून, रेप और मर्डर जैसी घटनाक्रम पर मिलेगी सख्त सजा

कोलकाता में लागू होगा नया कानून

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में भारी विरोध के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज राज्य के लिए आपराधिक संहिता भारतीय न्याय संहिता में कुछ प्रावधानों में संशोधन करने के लिए अपराजिता विधेयक पारित किया। ये संशोधन बलात्कार और बाल शोषण के लिए दंड को और अधिक कठोर बनाते हैं।

नाबालिग से बलात्कार के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस नाबालिग से बलात्कार के मामलों को तीन कैटेगरी में देखता है. इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची के मामलों में कम से कम 20 साल की जेल या फिर फांसी का प्रावधान है. वहीं, 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप की स्थिति में कम से कम 20 साल की सजा या फिर उम्रकैद का प्रावधान है. वहीं, 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार की स्थिति में उम्रकैद और मौत की सजा का प्रावधान है. पश्चिम बंगाल की सरकार ने नए कानून में इन सभी मामलों में एक ही सजा का प्रावधान किया है. जो उम्रकैद और फांसी तक जाती है. वहीं, भारतीय न्याय संहिता से बहुत पहले 2013 में (निर्भया रेप एंड मर्डर के ठीक बाद) नाबालिगों से रेप को लेकर पॉक्सो कानून लाया गया था जिसके तहत फौरन गिरफ्तारी का प्रावधान था.

बलात्कार के बाद मर्डर के मामलों में सजा

अगर रेप के बाद पीड़िता की मौत हो जाती है या फिर वह कौम जैसी स्थिति में पहुंच जाती है तो भारतीय न्याय संहिता कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान करती है. इसको बाद में उम्रकैद, फांसी की सजा के तौर पर बढ़ाया जा सकता है. वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार के नए कानून के मुताबिक ऐसी स्थिति जहां बलात्कार की वजह से किसी की जान चली जाए, या फिर पीड़िता कोमा में चली जाए, तो कानून बलात्कार के दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनिश्चित करती है. साथ ही, पश्चिम बंगाल सरकार का कानून बलात्कार-सामूहिक बलात्कार के दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान करती है. जहां दोषी को सारी उम्र जेल में रखने की बात कही गई है.

कितने दिन में हो जाएगा केस का निपटारा

भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता रेप के मामलों में पुलिस को दो महीने में जांच पूरी करने का समय देती है. केंद्र सरकार के कानून में जांच पूरी नहीं होने पर 21 दिन का और समय मिलने का प्रावधान है. ममता बनर्जी सरकार की ओर से पास किया गया कानून इस हवाले से थोड़ा और सख्त नजर आता है जहां डेडलाइन कम कर दी गई है. इसके मुताबिक रेप केस की जांच 21 दिनों में पूरी करनी होगी. अधिकतम इसे 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है. वो भी तब जब लिखित में इसका कारण केस डायरी में बताया जाए. इस तरह, कुल 36 दिन के भीतर मामले का निपटारा करने की बात की गई है.

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