क्या आप जानते हैं खादी के जिस तिरंगे को नवंबर 1946 में हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने मेरठ के विक्टोरिया पार्क में फहराया था, उसे 75 वर्षों के बाद पहली बार पुणे में आयोजित अमृत महोत्सव में साझा किया गया है! इस तिरंगे झंडे को देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग उत्साहित हो गए! वहीं इतनी पुरानी धरोहर को देखकर कुछ लोगों की आँखें नम हो आई! और कुछ लोगों ने हस्तिनापुर के नागर परिवार को सलाम भी किया कि उन्होंने देश की इस धरोहर को अब तक संभाल कर रखा! जानकारी के मुताबिक आज़ादी से पहले मेरठ में 23 से 26 नवंबर तक कांग्रेस पार्टी की तरफ से एक अधिवेशन हुआ था! उसी समय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने यह तिरंगा विक्टोरिया पार्क में फहराया था! यह झंडा 14 फीट का है, एवं इसके बीच में एक चरखा स्थित है! नेहरू जी ने इसकी हिफाजत का कार्यभार हस्तिनापुर के कर्नल गणपत राम नागर को सौंपी थी! तभी से इस झंडे को नागर परिवार ने देश के धरोहर के रूप में संभालकर रखा था!
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125वीं जयंती दिवस पर, आज़ादी के अमृत महोत्सव, 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पुरे होने पर तथा कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में 24 से 26 जुलाई तक महाराष्ट्र के पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ कॉलेज में इस तिरंगे का सार्वजनिक प्रदर्शन पहली बार किया गया है! गणपत राम नागर के पोते देव नागर ने बताया कि हस्तिनापुर से पुणे में इस झंडे को पहली बार लोगों के समक्ष लाया गया! उसने यह भी बताया कि इसी झंडे को थोड़े से बदलाव के साथ राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार कर लिया गया, केवल अंतर इतना सा है कि वर्तमान ध्वज में चरखे की जगह को अशोक चक्र ने ले लिया!
इस झंडे को आज भी हमारे देश की धरोहर के रूप में देखा जाता है
गणपत राम के पौत्र गुरु नागर हस्तिनापुर की डिफेंस कॉलोनी में रहते है! गुरु नागर बताते हैं कि जब वह नौ-दस वर्ष के थे! तब उनके दादाजी ने इस झंडे का रहस्य उन्हें बताया गया था! उन्होंने कहा कि इस झंडे को पंडित नेहरू ने फहराया था, उसके बाद से उन्होंने इस झंडे को संभालकर रखा है! गुरु नागर बताते हैं कि उनके पिताजी सूरज नाथ नागर कुमायुं रेजीमेंट में 1950 से 1975 तक कर्नल के पद पर रहे, साथ ही उन्होंने इस झंडे की भी देखभाल की, उसके पश्चात अब उनकी पत्नी भी इस झंडे की पूरी देखभाल करती हैं! उन्होंने बताया कि इस झंडे को वह एक थैली में रखते हैं, तथा बीच-बीच में धूप भी लगाते हैं! कई बार इस झंडे को लेने के लिए राजनीतिक दलों के लोग भी आए, परंतु उन्होंने इस झंडे को देने से साफ इंकार कर दिया!
Ms. Pooja, |