अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, श्रीहरिकोटा से SSLV -D1 रॉकेट लॉन्च

ISRO launches its new SSLV D1 rocket from Sriharikota

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को अपने पहले स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV – D1 रॉकेट को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च करके एक नया इतिहास दर्ज कर दिया है! SSLV-D1, 750 छात्रों द्वारा निर्मित सैटेलाइट ‘आज़ादी सैट’ और पृथ्वी अवलोकन उपगृह -02(EOS-02) को भी अपने साथ ले गया है! जानकारी के मुताबिक 110 किलो वजन का SSLV तीन स्टेज का रॉकेट है! जिसके सभी हिस्से मजबूती से बनाया गया है! इसकी खास बात यह है कि इसे सिर्फ 72 घंटों में असेंबल किया जा सकता है, वहीं बाकी लॉन्च व्हीकल को बनाने में लगभग 2 महीने का समय लग जाते हैं!

SSLV के फायदे :

* यह काफी सस्ता एवं कम समय में तैयार किया जाने वाला है!
* SSLV कुल तीन स्टेज का रॉकेट है, पहले तीन स्टेज में ठोस ईंधन का प्रयोग होगा, साथ ही चौथी स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल है जो उपग्रहों को परिक्रमा पथ पर पहुंचाने में काफी मदद करेगा!
* 34 मीटर ऊंचे SSLV का व्यास 2 मीटर है एवं 2.8 मीटर व्यास का पीएसएलवी इसमें लगभग 10 मीटर ऊंचा है!

EOS-02 और आज़ादी सैट की खासियत :

माइक्रो श्रेणी के EOS-02 उपगृह में इंफ्रारेड बैंड में चलने वाले और हाई स्पेशियल रेजोल्यूशन के साथ आने वाले आधुनिक ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग दिए गए हैं! इसका वजन लगभग 142 किलोग्राम है! EOS-02, 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करने वाला है! आपको बता दें कि आज़ादी सैट 8 किलो का क्यूबसैट है, इसमें कुल 50 ग्राम औसत वजन के 75 उपकरण हैं! हर्ष की बात इसलिए है कि इन्हें एक गांव के सरकारी स्कूलों की छात्राओं ने आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर एक इसरो के वैज्ञानिकों की सहायता से बनाया है! वहीं पर हमारे स्पेस किड्स इंडिया के बच्चों की एक समूह ने पृथ्वी पर प्रणाली तैयार किया है जो उपग्रह से डाटा कलेक्ट करेगी!

Pooja Kumari Ms. Pooja,
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