सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त दिशानिर्देश, कानूनी प्रक्रिया को अनदेखा करने वाले अफसरों पर होगी व्यक्तिगत जिम्मेदारी

rajiv kumar 2024 11 13T220046.170

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बुलडोजर कार्रवाई से जुड़े नियमों और मानदंडों को लेकर महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस फैसले की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट ने कवि प्रदीप की कविता से की, जिसने न्याय की मांग को एक मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाया। जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने साफ तौर पर कहा कि “सर पर छत होना” हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और सरकार या प्रशासन को इसे तोड़ने का अधिकार नहीं है, बशर्ते उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया हो।

1. किसी नागरिक के सिर पर छत का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि किसी भी नागरिक का सिर पर छत होना संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार का हिस्सा है। जस्टिस गवई और विश्वनाथन ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि सरकार या प्रशासन को किसी भी मकान को बिना उचित प्रक्रिया के ढहाने का अधिकार नहीं है। यह फैसला न केवल घरों को लेकर बल्कि नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2. कानूनी प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश
कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं। अब प्रशासन को मकान ढहाने से पहले नोटिस भेजना होगा और मकान मालिक को अपनी बात रखने का पूरा मौका देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी का घर गिराना, उस व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

3. नोटिस प्रक्रिया और निर्माण की जांच
नए दिशानिर्देशों के तहत, नोटिस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी दायरे में लाने की बात कही गई है। अब मकान मालिक को नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाएगा, साथ ही मकान पर चिपकाया भी जाएगा। नोटिस में यह भी बताया जाएगा कि किस आधार पर निर्माण अवैध माना जा रहा है और मकान मालिक किन दस्तावेजों से इसे वैध साबित कर सकता है।

4. 15 दिन का समय और अन्य विकल्प
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मकान मालिक को कम से कम 15 दिन का समय दिया जाएगा ताकि वह अपने बचाव में उचित दस्तावेज प्रस्तुत कर सके। अगर मकान मालिक खुद निर्माण हटाना चाहता है, तो उसे भी यह अधिकार दिया जाएगा। यह समयावधि नागरिकों के लिए न्याय की प्रक्रिया में भाग लेने और किसी जल्दबाजी से बचाने के लिए तय की गई है।

5. मकान गिराने का अंतिम विकल्प
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मकान को गिराना प्रशासन का अंतिम विकल्प होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यदि जुर्माना लगाकर या कुछ हिस्सों में सुधार करके निर्माण को नियमित किया जा सकता है, तो इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मकान गिराने का निर्णय केवल तब लिया जाए जब इसके अलावा कोई विकल्प न बचे।

6. विशेष अधिकारियों की नियुक्ति
सभी जिलों में डीएम को विध्वंस से जुड़े मामलों की देखरेख के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे इन मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी और नागरिकों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा होगी। साथ ही, 3 महीनों के भीतर एक पोर्टल बनाने का भी निर्देश दिया गया है जिसमें सभी नोटिसों की जानकारी होगी।

7. कार्यवाही की वीडियोग्राफी और अफसरों की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान पूरे विध्वंस की वीडियोग्राफी की जाएगी और इस दौरान मौजूद अधिकारियों के नाम दर्ज किए जाएंगे। किसी भी अधिकारी द्वारा निर्देशों का पालन न करने पर उसे व्यक्तिगत रूप से मुआवजा देने का निर्देश है। मकान दोबारा बनाने का खर्च उनसे वसूला जाएगा, जो कि अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला है।

××××××××××××××
Telegram Link :
For latest news, first Hand written articles & trending news join Saachibaat telegram group

https://t.me/joinchat/llGA9DGZF9xmMDc1

Pooja Kumari Ms. Pooja,
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *