New Delhi: सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दायर एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से कथित रूप से मिली नकदी से संबंधित आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट की प्रति मांगी गई थी। इसके साथ ही यह भी अनुरोध किया गया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि भी उपलब्ध कराई जाए।
RTI आवेदन खारिज करने का आधार
सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने इस याचिका को 9 मई को खारिज कर दिया। उन्होंने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल केस (2019) का हवाला देते हुए कहा कि जानकारी साझा करना उपयुक्त नहीं है। साथ ही, आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) और 11(1) का हवाला देते हुए बताया गया कि इस तरह की जानकारी गोपनीय है और इसके खुलासे से तीसरे पक्ष की निजता का हनन हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव
21 मई को दिए गए जवाब में सुप्रीम कोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार और CPIO ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निजता के अधिकार और प्रत्ययी संबंधों की गोपनीयता को प्राथमिकता दी गई थी। अतः यह निर्णय इन्हीं मानकों के अनुरूप लिया गया है, जिससे जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा सकती।
जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई
उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दी थी। रिपोर्ट की सामग्री को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक खुलासा नहीं हुआ है।
××××××××××××××
Telegram Link :
For latest news, first Hand written articles & trending news join Saachibaat telegram group
https://t.me/joinchat/llGA9DGZF9xmMDc1
![]() |
Ms. Pooja, |