सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का हालिया बयान बिहार की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर चुका है। उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान विवादास्पद टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि वे यादव और मुसलमान समुदायों का काम नहीं करेंगे। इस बयान के बाद विभिन्न राजनैतिक दलों और सामाजिक संगठनों में खलबली मच गई है।
बयान और विवाद
देवेश चंद्र ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि यादव और मुसलमान समुदायों के काम को प्राथमिकता नहीं देंगे। इस बयान के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। यह बयान तब आया जब देवेश चंद्र ठाकुर ने सीतामढ़ी लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की और कहा कि अगर महागठबंधन में से कोई और प्रत्याशी जीतता है, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
ठाकुर के इस बयान के बाद महागठबंधन के अंदर ही उनके खिलाफ विरोध की लहर उठ गई है। जेडीयू और आरजेडी के कई नेताओं ने उनके बयान की कड़ी निंदा की है। पूर्व सांसद अर्जुन राय और राणा रणधीर सिंह चौहान ने इस बयान को लेकर ठाकुर की तीखी आलोचना की है और इसे विभाजनकारी करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान समाज को बांटने का काम करते हैं और यह बिहार की राजनीति में एक खतरनाक प्रवृत्ति है।
चुनावी दावे
देवेश चंद्र ठाकुर ने यह भी दावा किया कि उन्हें महागठबंधन की ओर से सीतामढ़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी मिल गई है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अन्य प्रत्याशी इस सीट से चुनाव जीतता है, तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। ठाकुर ने महागठबंधन में रहते हुए दो लाख से जीतने का दावा किया और कहा कि अब वे पांच लाख से जीतेंगे।
निष्कर्ष
देवेश चंद्र ठाकुर का यह विवादित बयान बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ले आया है। इस बयान से जहां एक ओर ठाकुर की आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक इसे सही ठहरा रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में इस बयान का क्या प्रभाव पड़ता है और बिहार की राजनीति किस दिशा में जाती है।
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