NEW DELHI. छत्तीसगढ़ के सीएम रामलला के दक्शन के लिए जल्द अयोध्या रवाना होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री और प्रदेश के मंत्री अयोध्या में रामलला के दर्शन करेंगे। बता दें कि सीएम ने कांग्रेस नेताओं को भी अयोध्या जाने का न्योता भेजा है। साथ ही आज आदमी की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सीएम ने केंद्र सरकार से डायरेक्ट फ्लाइट की मांग की है।
मंत्रीमंडल के साथ अयोध्या जाएंगे सीएम विष्णुदेव साय
बता दें कि बीते मंगलवार यानी 20 फरवरी को अयोध्या जाने की बात पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि वे मंत्रीमंडल के साथ अयोध्या जाएंगे। रामलला दर्शन योजना सरकार चला ही रही है। गौरतलब है कि पूरे छत्तीसगढ़वासियों के लिए जो भी श्रद्धालु राम भक्त हैं। उनके लिए सरकार ये योजना चला रही है।
रायपुर से अयोध्या के लिए फ्लाइट की मांग
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने रायपुर से अयोध्या हवाई सेवा की शुरुआत करने के लिए केंद्रीय मंत्री, नागरिक एवं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिल्ली में भेंट के दौरान पत्र दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की भूमि है, इस कारण हम सभी भगवान श्रीराम को अपना भांजा मानते हैं। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की भव्य और दिव्य प्राण प्रतिष्ठा से पीएम के प्रति प्रदेश में समर्थन और विश्वास में कई गुना वृद्धि हुई है। इस पर किरणदेव का कहना है कि अब श्रीरामलला के दर्शन की योजना भी प्रारंभ हो चुकी है। चूंकि रायपुर से अयोध्या के लिए सीधी उड़ान नहीं होने से श्रद्धालुओं को हवाई जहाज से यात्रा करने में काफी परेशानी हो रही है। जिसके कारण प्रदेश की जनता द्वारा छत्तीसगढ़ को रामनगरी अयोध्या से जोड़ने के लिए रायपुर से अयोध्या तक सीधी उड़ान की मांग की जा रही है। रायपुर से अयोध्या को सीधे हवाई सेवा से जोड़ने से यात्रियों तथा श्रद्धालुओं के समय एवं धन की बचत के साथ साथ भगवान श्री राम के मंदिर दर्शन करने में भी सुविधा होगी।
अभी क्या है अयोध्या जाने के विकल्प
रायपुर एयरपोर्ट से दिल्ली की 6, मुंबई की 3, हैदराबाद के लिउ 2, इंदौर 1, अहमदाबाद 1, लखनऊ के लिए 1, कोलकाता की 3, चेन्नई की 1, बैंगलोर की 2, भुवनेश्वर की 1 फ्लाइट चलती है। अयोध्या जाने के लिए दिल्ली लखनऊ तक सफर करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही ट्रेन्स के साथ है। कई बार ट्रेन में टिकट न मिलने, ट्रेन रद्द होने की समस्या हो रही है।
छत्तीसगढ़ योजना का लाभ उठाने के लिए क्या करें
18 से 75 आयु वर्ग के लोग जो जिला मेडिकल बोर्ड के स्वास्थ्य परीक्षण में सक्षम पाए जाएंगे, उन्हें यात्रा की पात्रता होगी।
दिव्यांगजन के लिए यथा संभव उनके परिवार से कोई एक सदस्य साथ में रहेंगे।
इसके लिए हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में श्री रामलला दर्शन समिति बनाई जाएगी। समिति अनुपातिक कोटा के अनुसार हितग्राहियों का चयन करेगी।
यात्रा की दूरी करीब 900 किलोमीटर होगी। इसके लिए भारतीय रेलवे कैटरिंग एवं टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के साथ छत्तीसगढ़ मंडल का MoU है।
IRCTC ही यात्रा के दौरान सुरक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, स्थलों के दर्शन, स्थानीय परिवहन और एस्कॉर्ट की व्यवस्था करेगा।
हितग्राहियों को उनके निवास से निर्धारित रेलवे स्टेशन तक लाने और वापस ले जाने की व्यवस्था संबंधित जिला कलेक्टर करेंगे। इसके लिए उन्हें बजट उपलब्ध कराया गया है।
यात्री दुर्ग, रायपुर, रायगढ़ और अंबिकापुर से ट्रेन के जरिए रवाना किए जाएंगे।
अयोध्या के राम मंदिर की विशेषताएं
मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
4. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।
मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा।
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Ms. Pooja, |