नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पारू गांव में 14 वर्षीय दलित लड़की के अपहरण और हत्या की हृदयविदारक घटना ने राज्य को हिला कर रख दिया है। यह घटना 11 अगस्त 2024 को तब घटी जब कुछ अज्ञात बदमाश लड़की के घर में जबरन घुस गए। उस समय लड़की अकेली थी, जबकि उसके माता-पिता मजदूरी के लिए बाहर गए हुए थे। आरोप है कि लड़की के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। उसके शव को तालाब में फेंक दिया गया, जहां ग्रामीणों ने शव को देखा और पुलिस को सूचना दी।
परिवार का दर्द और पुलिस की कार्रवाई
लड़की के परिवार ने बताया कि वे दलित समुदाय से आते हैं और मुख्य आरोपी संजय राय ने उनकी बेटी से शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। इस वजह से राय और उसके सहयोगी परिवार को लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। इस घटना के बाद परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें राय समेत छह लोगों के नाम शामिल किए गए। राय को पकड़ने के लिए पुलिस ने उसके घर पर नोटिस चिपकाया है और उसके संपत्ति की जब्ती की चेतावनी दी है।
पुलिस की जांच और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पुलिस ने इस मामले में अब तक एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है और घटना स्थल से एक खून से सना हुआ दरांती भी बरामद किया है। पुलिस के अनुसार, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी लंबित है, लेकिन प्रारंभिक जांच में सिर और गर्दन पर चोट के निशान मिले हैं। वहीं, विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर निशाना साधा है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
न्याय की मांग
इस घटना ने बिहार में दलित उत्पीड़न और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है, लेकिन मुख्य आरोपी अब भी फरार है।
मुजफ्फरपुर की यह घटना न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि हमें समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
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