नई दिल्ली: राजस्थान की राजधानी जयपुर में मीट की दुकानों पर अब यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि वहां पर बेचा जाने वाला मीट ‘हलाल’ है या ‘झटका’। इस संबंध में जयपुर नगर निगम ने एक अहम फैसला लिया है। नगर निगम के मेयर ने बताया कि इस फैसले का उद्देश्य उपभोक्ताओं को जानकारी प्रदान करना और उनकी धार्मिक व सांस्कृतिक भावनाओं का सम्मान करना है।
जल्द होगी कार्रवाई
मेयर ने यह भी कहा कि जल्द ही इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और कार्रवाई शुरू की जाएगी। निगम के इस निर्णय से मीट विक्रेताओं को अपनी दुकानों पर स्पष्ट रूप से बोर्ड लगाना होगा, जिसमें यह उल्लेख करना होगा कि उनका मीट ‘हलाल’ है या ‘झटका’। यह फैसला उन उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मीट का सेवन करते हैं।
सीहलाल’ और ‘झटका’ का अंतर
‘हलाल’ और ‘झटका’ मीट के बीच का अंतर धार्मिक और सांस्कृतिक है। ‘हलाल’ मीट इस्लामी परंपरा के अनुसार तैयार किया जाता है, जिसमें जानवर को धीरे-धीरे काटा जाता है और उसका खून पूरी तरह से बहाया जाता है। वहीं ‘झटका’ मीट हिंदू और सिख परंपरा के अनुसार तैयार किया जाता है, जिसमें जानवर को एक ही झटके में मारा जाता है। इस प्रकार, मीट की दुकानों पर यह जानकारी उपलब्ध होना उपभोक्ताओं के लिए सहूलियत प्रदान करेगा।
उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के लिए सहूलियत
जयपुर नगर निगम के इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है, खासकर उन समुदायों द्वारा जो अपने धार्मिक मान्यताओं के प्रति संवेदनशील हैं। इस कदम से विवादों की संभावना कम होगी और उपभोक्ताओं को उनके पसंदीदा प्रकार का मीट खरीदने में आसानी होगी।
निगम की तैयारियाँ
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि वे जल्द ही मीट विक्रेताओं के साथ बैठक कर इस नए नियम के बारे में जानकारी देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी दुकानों पर यह बोर्ड लगाया जाए। इसके लिए एक विशेष टीम भी गठित की जा सकती है जो इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी दुकानदार इस नियम का पालन करें।
ग्राहकों के लिए स्पष्ट और सही जानकारी
मीट विक्रेताओं के लिए यह आवश्यक होगा कि वे अपने ग्राहकों को स्पष्ट और सही जानकारी प्रदान करें। इस निर्णय से उम्मीद है कि उपभोक्ता और विक्रेता दोनों के बीच विश्वास बढ़ेगा और धार्मिक भावनाओं का सम्मान होगा।
दिशा-निर्देश और नियम
इस फैसले को लागू करने के लिए नगर निगम द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश और नियम बनाए जा रहे हैं, ताकि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस निर्णय का मीट बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है और उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया कैसी रहती है
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