हाल ही में भारत में मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) का एक संदिग्ध मामला सामने आया है, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई अलर्ट जारी किया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक व्यक्ति में विदेश से लौटने के बाद मंकीपॉक्स जैसे लक्षण देखे गए। मरीज़ को तुरंत आइसोलेशन में रखा गया है और उसकी मेडिकल जांच की जा रही है। इस संदिग्ध मामले ने देशभर में सतर्कता को बढ़ा दिया है, खासकर उन जगहों पर जहां अंतरराष्ट्रीय यात्राएं हो रही है।
मंकीपॉक्स: एक संक्रामक बीमारी
मंकीपॉक्स एक संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्य रूप से अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाने वाले जानवरों से फैलता है। हालांकि हाल के मामलों में यह मानव से मानव के बीच भी फैलने लगा है। मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और शरीर पर फफोलेदार दाने जैसे लक्षणों से पहचाना जा सकता है। आमतौर पर ये लक्षण दो से चार हफ्तों तक बने रहते हैं। दाने आमतौर पर चेहरे, हाथ, पैर, और जननांग क्षेत्रों में होते है।
क्या वैक्सीन की है जरूरत?
भारत में मंकीपॉक्स के खिलाफ कोई विशेष वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि, चेचक (स्मॉलपॉक्स) की वैक्सीन को मंकीपॉक्स के खिलाफ 85% प्रभावी माना जाता है, क्योंकि दोनों वायरस एक ही परिवार से संबंधित हैं। भारत में चेचक का टीकाकरण दशकों पहले बंद कर दिया गया था, जिससे यह वैक्सीन अब आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया मंकीपॉक्स के लिए एक नई वैक्सीन पर काम कर रहा है, जो जल्द ही उपलब्ध हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित होती है, तो यह एक साल के भीतर बाजार में आ सकती है।
क्या करें अगर लक्षण दिखाई दें?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता से सतर्क रहने और मंकीपॉक्स के किसी भी संभावित लक्षण को नज़रअंदाज़ न करने की अपील की है। मंत्रालय ने लोगों को सलाह दी है कि यदि किसी व्यक्ति को बुखार, फफोलेदार दाने, या अन्य मंकीपॉक्स के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लें। सरकार ने इसके प्रसार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग और संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए आइसोलेशन प्रोटोकॉल लागू किए गए हैं।
क्या हमें चिंतित होना चाहिए?
मंकीपॉक्स को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स आमतौर पर चेचक की तुलना में कम गंभीर होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। भारत में स्वास्थ्य विभाग मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों पर कड़ी नज़र रख रहा है और समय पर हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है।
भारत में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला एक चेतावनी है कि हमें संक्रामक बीमारियों के प्रति जागरूक और सतर्क रहना होगा। सरकार और स्वास्थ्य संस्थान स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और जल्द ही मंकीपॉक्स से संबंधित और भी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी।
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