NEW DELHI. कैंसर एक जानलेवा बीमारी बीमारी है, जिसमें लोगों के बचने की उम्मीद बहुत कम होती है। वर्तमान समय में अधिकतर लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसका परिणाम ये होता है कि जब तक लोगों को इस बीमारी का पता चलता है बहुत देर हो जाती है। WHO के आंकड़े के अनुसार, 2022 में दुनिया में करीब कैंसर के 2 करोड़ नए मामले सामने आए और करीब 1 करोड़ लोगों के इस बीमारी कारण मौत हो गई। इनमें सबसे आम कैंसर स्तन, फैंफड़े, कोलन, रेक्टम और प्रोस्टेट कैंसर है। वहीं भारत में वर्ष 2022 में 14 लाख से अधिक कैंसर के नए मामले सामने आए, जबकि 9 लाख लोगों ने इस बीमारी से अपनी जान गंवा दी। ऐसे में रिसर्च एजेंसियों का ये अनुमान है कि 2050 में दुनियाभर में कैंसर के लगभग 3.5 करोड़ मामले आएंगे।
4 फरवरी को मनाया जाता है ‘विश्व कैंसर दिवस’
देश में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 4 फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ये विश्व कैंसर दिवस UICC (Union for International Cancer Control) की एक पहल है जिसका आयोजन पहली बार 4 फरवरी 2000 में किया गया था, बता दें कि इसे फ्रांस के शहर पेरिस में आयोजित कैंसर शिक्षा सम्मेलन के दौरान भारत में मनाने का सुझाव दिया गया था। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में कैंसर के बोझ को कम करना और जागरूकता फैलाना है।
‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाने का उद्देश्य
विश्व कैंसर दिवस का प्रमुख उद्देश्य लोगों को कैंसर के खिलाफ जागरूक करना है। इस दिन के माध्यम से, विशेषज्ञ और स्वास्थ्य सेवाएं सार्वजनिक जानकारी और शिक्षा प्रदान करते हैं, जिससे लोगों को कैंसर के बारे में अधिक जानकारी हो सके और उन्हें इससे निपटने के लिए जरूरी कारणों की पहचान हो सके। इस दिन कैंसर के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों का आयोजन भी किया जाता है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो विश्वभर में महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित करती है। विश्व कैंसर दिवस का आयोजन इसलिए किया जाता है, क्योंकि इस दिन लोगों को कैंसर से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करवाई जाती है। विश्व कैंसर दिवस का संदेश है कि हमें मिलकर कैंसर के खिलाफ एक जुट होकर लड़ना है और लोगों को इस खतरे से बचाने के लिए सक्रिय रूप से काम करना है।
सर्वाइकल कैंसर क्या है?
सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय (गर्भ) का निचला, संकीर्ण सिरा है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय को योनि से जोड़ती है। सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर प्रकट होने से पहले, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं डिसप्लेसिया नामक परिवर्तनों से गुजरती हैं, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएं दिखाई देने लगती हैं। समय के साथ, यदि इसे नष्ट नहीं किया गया या हटाया नहीं गया, तो असामान्य कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन सकती हैं और बढ़ने लगती हैं और गर्भाशय ग्रीवा और आसपास के क्षेत्रों में अधिक गहराई तक फैलती हैं।
सर्वाइकल कैंसर की जांच कैसे की जाती है?
सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पारंपरिक रूप से पैप स्मीयर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सर्वाइकल सेल्स को माइक्रोस्कोप से जांच कर अनेक विशेषताओं की पहचान की जाती है। लेकिन, एक और विकल्प है जिससे सर्वाइकल कैंसर की जांच की जा सकती है, वो है- ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) टेस्ट। ये टेस्ट सीधे तौर पर HPV की उपस्थिति का पता लगाता है, जो सर्वाइकल कैंसर का लगभग 99% मामलों में कारण होता है। JAMA में प्रकाशित एक रिपोर्ट का कहना है कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए HPV टेस्ट पैप स्मीयर से बेहतर विकल्प हो सकता है।
क्यों है HPV टेस्ट बेहतर विकल्प?
पैप स्मीयर टेस्ट केवल असामान्य सेल्स का पता लगाता है, जो कैंसर का संकेत हो सकती हैं, लेकिन ये सीधे तौर पर HPV का पता नहीं लगाता है, जो सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है।
HPV टेस्ट सीधे तौर पर HPV की उपस्थिति का पता लगाता है, जो कैंसर का मुख्य कारण है। इससे अधिक सटीक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
पैप स्मीयर टेस्ट में गलत परिणाम आने की भी संभावना होती है, HPV टेस्ट में गलत परिणाम की संभावना कम होती है।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, HPV टेस्ट लंबे अंतराल पर भी प्रभावी हो सकता है, जिससे टेस्ट कम बार कराने की आवश्यकता होती है।
कैंसर से संबंधित कुछ रुटीन टेस्ट
कैंसर को लेकर हमेशा जागरूक रहने की जरुरत है, इसके लिए हमे लगातार रुटीन चेकअप के साथ-साथ चिकित्सक सलाह लेते रहना चाहिए, अगर आपको स्वास्थ्य से संबंधी कुछ भी असामान्य समस्या दिखे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले। आइए जानें कैंसर के लिए जरूरी टेस्ट कौन-कौन से हैं :-
सीटी स्कैन (CT Scan) : इस टेस्ट में विशेष कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से शरीर के अंदर के तस्वीर बनाई जाती है और कैंसर के उपस्थिति को देखा जाता है।
एमआरआई (MRI) : ये टेस्ट रेडियो तरंगों का उपयोग करता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों की तस्वीर बनाने में मदद करता है।
बायोप्सी (Biopsy) : इस टेस्ट में चिकित्सक शरीर के संदेश को संग्रह करते हैं और उसे परीक्षण के लिए पठाने के लिए भेजते हैं।
एक्स-रे (X-Ray) : इस टेस्ट में रेडिएशन की तरंगों का उपयोग किया जाता है जो शरीर के अंदर की तस्वीरें बनाता है।
पीईटी स्कैन (PET Scan) : ये टेस्ट शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर के प्रकार और विकास की जांच करता है।
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Ms. Pooja, |