*बदलते मौसम में संक्रमण एवं सर्दी जुकाम से बचने का एकमात्र उपाय*
*जल नेति*
*पाचन से लेकर माइग्रेन तक की समस्या में राहत देती है जल नेति*
*नियमित योगाभ्यास करने से ठीक होती हैं माइग्रेन और मिर्गी जैसी समस्याएं*
*जल नेति क्या है?*
प्राचीन काल से ही योग विद्या एक ऐसे ज्ञान के रूप में प्रचलित है जो व्यक्ति को संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है। योग हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाता है। योग को अपनी दिनचर्या का अंग बना कर हम अनेकों शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से बच सकते हैं। योग मैं आसन, प्राणायाम के अभ्यास से पूर्व कुछ क्रियाओं को सीख लेना चाहिए। ये क्रियाएं साधकों को योग के उच्च अभ्यासों के लिए तैयार करती हैं। जैसे ध्योति, बस्ती, नेति, त्राटक, नौली और कपालभाती।
जल नेति भी इन्हीं में से एक है।
*इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान सकेंगे*
जल नेति क्या है, कैसे करें, फायदे और सावधानियां ।
*जलनेति दिन में कितनी बार कर सकते हैं ?*
जल नेती क्रिया दिन में तीन बार की जा सकती है लेकिन नहाते समय ब्रश करने के बाद कर सकते हैं अधिक लाभ देगी और जल नेति का अभ्यास दिन में कभी भी किया जा सकता है।
*जल नेति कब नहीं करनी चाहिए ?*
जल नेती यदि नासिका से खून आता हो या कान में दर्द की समस्या हो तो जलनेति नहीं करनी चाहिए।
*क्या जलनेति रोज की जा सकती है ?*
हां जलनेति का अभ्यास निरंतर नित्य प्रति करना चाहिए
*जलनेति क्या है?*
जलनेति योग की एक शुद्धि क्रिया है जिसमें जल चिकित्सा के द्वारा नाक की सफाई की जाती है
*जलनेति की विधि*
जल नेती करने के लिए सबसे पहले जल नेती पोट टोंटीदार लोटा होता है इसमें गुनगुना नमकीन पानी भरते है और बैठकर जिस नासिका से श्वास आ जा रहा है उस छिद्र पर लोटे की टोटी को लगा दे थोड़ा लोटे को ऊपर की ओर उठाएंगे गर्दन को दूसरी तरफ थोड़ा झुका कर मुंह खुला रखकर गहरी श्वास लें और छोड़ें पानी दूसरे छिद्र से गिरने लगेगा जब लौटा पूरी तरह खाली हो जाए तो गर्दन सीधी करें ।
इसी प्रकार दूसरे क्षेत्र से भी अभ्यास करें बाद में कपालभाति या भस्त्रिका के द्वारा नासिका मार्ग में से सारा पानी बाहर निकाल दें।
*जल नेति का उद्देश्य* __जल नेती नासिका के अंदर साइनस को साफ कर देती है।
जिन लोगों को साइनोसाइटिस राइनाइटिस, सिर दर्द, माइग्रेन है, जिन लोगों की दृष्टि कमजोर है, आंखें जल्दी थक जाती है, कुछ देर पढ़ने के बाद आंखों में पानी आ जाता है। लाल हो जाती है। दर्द देती है या कान से संबंधित जो थोड़ी बहुत समस्याएं होती हैं, जैसे कान के अंदर मैल ज्यादा जम जाता है, कड़ी हो जाती है उसे निकालते हैं तो कान के पर्दे में कभी-कभी चोट लग जाती है ऐसी सभी बीमारियों के लिए नेती क्रिया बहुत उपयुक्त है।यह गले की खराश को भी ठीक कर देती है।
नासिका से लेकर कंठ तक ऊपरी श्वसन मार्ग को जल चिकित्सा के द्वारा शुद्ध किया जाता है।
*जल नेति के फायदे*
🌅यह नासिका मार्ग की सफाई करती है।
🌅 यह श्वास संबंधी सभी समस्याएं पुरानी सर्दी, दमा, सूखी खांसी, सांस लेने में होने वाली समस्या को दूर करती है।
🌅आंख, कान और गले की सभी समस्याएं, आंखों में पानी आना, आंखों में जलन की समस्या, टिनिटस की समस्या को ठीक करती है।
🌅 गले संबंधी सभी बीमारियां, अनिद्रा, सिरदर्द, सुस्ती और आंख, नाक, कान के सभी प्रकार के संक्रमण को दूर करने में सहायक है।
🌅Sinasitis और एलर्जी जैसी बीमारियों को दूर करती है।
क्रोध और चिड़चिड़ापन दूर होता है।
🌅आंखों की रोशनी तेज होती है।
🌅प्राणायाम के अभ्यास में सहायक है।
*जलनेति में बरतने वाली सावधानियां*
🌅इस क्रिया का अभ्यास किसी👍कुशल योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करना चाहिए।
इस क्रिया को करने के बाद भस्त्रिका या कपालभाति के द्वारा सारे पानी को बाहर निकाल देना चाहिए।
इस क्रिया के दौरान मुंह खुला रखना चाहिए मुंह से ही सांस लेना छोड़ ना है जब तक यह क्रिया करेंगे।
Dr. Rajrani Singhal (M.A. In Preksha Meditation, Yoga & Science of Living, P.GG.Y.S., D.N.Y.S.)
(Naturopath, Yoga Expert, Corporate Trainer and Motivational Speaker )
नेचुरोपैथ एवम योग विशेषज्ञ
8860261995