नई दिल्ली:बिहार के बाद अब ओडिशा सरकार ने भी महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री पी. परिदा ने घोषणा की कि ओडिशा में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान एक दिन की पेड लीव दी जाएगी। यह अवकाश पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा, जिसे महिलाएं अपने पीरियड्स के पहले या दूसरे दिन ले सकती हैं। यह निर्णय राज्य की महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके कार्यस्थल के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
उद्भव और प्रेरणा
यह पहल एक उड़िया लड़की द्वारा की गई मांग के बाद संभव हुई। इस लड़की ने केन्या में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सिविल सोसाइटी कॉन्फ्रेंस 2024 में पीरियड्स के दौरान पेड लीव की आवश्यकता पर जोर दिया था। इसके अतिरिक्त, राज्य की महिला कार्यकर्ता रंजीता प्रियदर्शनी ने भी इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया। इस घोषणा के साथ, ओडिशा ने महिलाओं की समस्याओं को समझते हुए एक आवश्यक और प्रशंसनीय कदम उठाया है, जो अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
अन्य राज्यों में स्थिति
ओडिशा से पहले, बिहार ने 1992 से महिलाओं को हर महीने दो दिन की पेड पीरियड लीव देने की व्यवस्था लागू की थी। इसके अलावा, केरल ने 2023 में सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों की छात्राओं को पीरियड लीव देने की शुरुआत की। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के कदमों पर हमेशा सहमति नहीं बन पाई है। उदाहरण के लिए, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीरियड्स लीव को अनावश्यक बताते हुए इसे एक विवादास्पद मुद्दा बना दिया था। लेकिन ओडिशा सरकार ने इस दिशा में साहसिक कदम उठाते हुए महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दी है।
निष्कर्ष
ओडिशा सरकार का यह फैसला न केवल महिलाओं के लिए राहत का विषय है, बल्कि यह उनके अधिकारों और स्वास्थ्य के प्रति एक जागरूक दृष्टिकोण का भी प्रतीक है। यह पहल अन्य राज्यों और संस्थानों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है, जो महिलाओं के कार्यस्थल पर उनके स्वास्थ्य की देखभाल के प्रति जिम्मेदारी निभाने में सहायता करेगी।
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