US China Tensions: 9 अप्रैल से लागू होगा नया टैरिफ, अमेरिका के अल्टीमेटम पर चीन का सख्त जवाब

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New Delhi: अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। अमेरिका ने मंगलवार को चीन पर कुल 104 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है, जो 9 अप्रैल से प्रभाव में आ जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब चीन ने अमेरिका द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद अपने 34 प्रतिशत प्रतिशोधी टैरिफ हटाने से इनकार कर दिया। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि चीन की इस असहमति के बाद ही नया टैरिफ लागू करने का फैसला लिया गया। जवाब में चीन ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी और अमेरिका को चेताया कि अगर वह व्यापार युद्ध छेड़ने पर अड़ा रहा, तो चीन अंत तक मुकाबले के लिए तैयार है।

व्हाइट हाउस की घोषणा और समयसीमा का उल्लंघन
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने पुष्टि की कि चीन पर लगाया गया 104% टैरिफ अमेरिका के पूर्वी समयानुसार मंगलवार दोपहर 12 बजे से लागू हो गया। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए अपने 34% प्रतिशोधात्मक शुल्क को हटाने की अंतिम समयसीमा तक पालन नहीं किया। सोमवार को ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को चेतावनी दी थी कि यदि मंगलवार तक टैरिफ नहीं हटाए गए, तो वह बुधवार को मौजूदा शुल्क में 50% तक की बढ़ोतरी कर देंगे। बीजिंग ने अमेरिका की इस चेतावनी को खारिज करते हुए कहा कि वह अपने शुल्क को समाप्त नहीं करेगा।

2024 में अमेरिका-चीन व्यापारिक आंकड़े और वैश्विक संकेत
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में अमेरिका और चीन के बीच कुल वस्तु व्यापार लगभग 582 अरब डॉलर रहा, जिससे चीन अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। हालांकि, इस दौरान अमेरिका को चीन के साथ वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में भारी घाटा हुआ, जो 263 अरब डॉलर से बढ़कर 295 अरब डॉलर तक पहुंच गया। व्हाइट हाउस का यह भी कहना है कि करीब 70 देशों ने अमेरिका के साथ टैरिफ वार्ता में रुचि दिखाई है, जो इस बात का संकेत है कि अमेरिका एक वैश्विक व्यापार समझौते की दिशा में प्रयासरत है।

शी जिनपिंग का बयान: “चीनी अर्थव्यवस्था समुद्र है”
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने बयान में कहा कि चीनी अर्थव्यवस्था एक समुद्र की तरह विशाल है, कोई छोटा तालाब नहीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि तूफान तालाब को तो हिला सकता है, लेकिन समुद्र को नहीं। उनका यह बयान अमेरिका को यह जताने के लिए था कि चीन इस आर्थिक दबाव में झुकने वाला नहीं है और वह लंबी लड़ाई के लिए तैयार है। दोनों देशों के इस टकराव ने वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

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Pooja Kumari Ms. Pooja,
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