मैं हूं औरत जो घर को संभालती हूं मां को संभालते हूं और शादी के बाद पति को संभालती हूं सास-ससुर को संभालती हूं फिर बच्चे होने के बाद उन्हें संभालती हूं। परिवार पर संकट ना आए उसके लिए दुआओं को संभालती हूं मैं हूं औरत जो सारे रिश्ते बेवकूफी से निभाती हूं। अगर मुझसे मेरे बच्चे रूठ जाते हैं तो उन्हें मनाने के लिए क्या कुछ नहीं कर जाती हूं खाना खिलाना, उनका ख्याल रखना बाद में बच्चे मान जाते हैं। क्योंकि उन्हें मां की जरूरत होती है।
अगर बच्चे कोई गलती करे तो मां को ही ताने सुनने पड़ते हैं बच्चा देर से घर आया तो मां की गलती,बच्चे पढ़ाई पर ध्यान ना दे तो मां की गलती, हर गलतियों की सजा मां को ही मिलती है। क्योंकि वह एक औरत है। पति गुस्सा हुआ तो औरत की गलती पति ने औरत को पीटा तो भी औरत की गलती बताई जाती है। आखिर हर गलतियों को औरत ही क्यों सहे
क्या औरत इंसान नहीं होती।
रोज़ी।