हम एक हैं
हम एक हैं कहने से एक नहीं होते
तो क्यों बांट दिया इंसान को
क्यों बांट दिया जाति को
क्यों भेदभाव का ज़ेहन अपने मन में लाए
और कहते हैं हम एक हैं
क्यों लोग छीन लेते हैं लोगों से कपड़े मकान
यह लोग कौन हैं हम ही तो हैं
और कहते हैं हम एक हैं
क्यों बेटे को बेटी से ऊंचा माना जाता है
क्यों बेटी की शादी जल्दी कर दी जाती है
क्यों बेटी को ही जल्दी बहू पत्नी
मां बना दिया जाता है
और कहते हैं हम एक हैं
हां हम एक हैं पर खुद से ही है
क्यों खुद को ही ऊंचा माना जाता है
क्यों खुद खुशी की जाती है
क्यों लड़की को लड़कों से अलग समझा जाता है
लोगों ने तो कह दिया हम एक हैं
पर वो एकता कहां है
वह इंसानियत कहां है
यूं ही हम एक है एक है कहने से एक नहीं होते
एक होने के लिए सच्चा मन
सच्चा विश्वास होना चाहिए
हम एक हैं
पर हम एक हैं कहने का लफ्ज़ में
एकता और विश्वास होना चाहिए
क्योंकि एकता में ही अनेकता है।
रोज़ी।