हर घर में होता है वह इंसान
जिसे हम पिता कहते हैं
सभी की खुशियों का ध्यान रखते
हर किसी की इच्छा पूरी करते
खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते
जिसे हम पिता कहते हैं
बड़ों की सेवा भाई बहनों से लगाओ
पत्नी को प्यार बच्चों को दुलार
खोलते सभी ख्वाहिशों के द्वार
जिसे हम पिता कहते हैं
बेटी की शादी बेटे को मकान
बहुओं की खुशियां
दमादो का मान
कुछ ऐसे ही सफर में
गुजारे वह हर शाम
जिसे हम पिता कहते हैं।
रोज़ी।