अपने फसलों को आधे दाम में बेचकर किसान हमेशा खुश रहता है,
क्योंकि उसे अपने कमाई से ज्यादा दूसरों का पेट भरने में आनंद आता है,
समझ जाओगे किसान का दर्द एक बार खेतों में हल चलाकर तो देखो।
किसी जमीन की टुकड़ों में कभी अनाज उगाकर तो देखो,
कभी जून के धूप में तो कभी दिसंबर की ठंड में,
एक बार खेतों में जाकर तो देखो,
टूटा फूटा घर है बस दो वक्त की रोटी है।
बुरी हालातों से लड़ने वाले किसानों की जिंदगी छोटी है।
क्योंकि मुफ्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती किसान की मरने की खबर अखबार में नहीं मिलती।
हकीकत में किसान ही इस देश को चलाते हैं,
वही खाने को अनाज देते हैं वही चुनकर सरकार देते हैं।
भगवान का सौदा करता है किसान की कीमत क्या जाने,
जो धान की कीमत दे ना सके वह जान की कीमत क्या जाने,
एक दिन जी कर देखो जिंदगी किसान कि कैसे वह मिट्टी को सजा देते हैं थालिया हिंदुस्तान की।
जिंदगी लोग महलों में रहकर भी खुद को परेशान कहते हैं,
छत टपकती है उसके कच्चे घर की फिर भी किसान दुआ करता है बारिश की।
जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है,
सूखे कुए तुम्हारा इंतहान बाकी है,
वह जो खेतों की मेड़ों पर उदास बैठे हैं,
उनकी आंखों में अब तक ईमान बाकी है।
किसान कहते हैं बादलों बरस जाना समय पर इस बार किसी का मकान गिरवी है तो किसी का लगान बाकी है।।।।
मन की आवाज कहलाए कलम से
रोज़ी।