म्यांमार में एक बार फिर भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को डराया। शनिवार सुबह 11.54 बजे यहां एक बार फिर धरती कांपी। 24 घंटे में 11वीं बार लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए। इस बार यहां भूकंप की तीव्रता 4.3 रही।
15 टन भेजी गई राहत सामग्री
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ये जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि भारत से भेजी मदद की पहली खेप यांगून पहुंच गई है। इससे पहले AFS हिंडन से भारतीय वायुसेना का सी 130 जे विमान राहत सामग्री के साथ म्यांमार के लिए उड़ान भरा था। इस विमान में लगभग 15 टन राहत सामग्री म्यांमार भेजी गई। जिसमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, हाइजीन किट, सोलर लैंप, जनरेटर सेट, आवश्यक दवाएं (पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, कैनुला, सीरिंज, दस्ताने, कॉटन बैंडेज, मूत्र बैग आदि) शामिल हैं।
मौत का आंकड़ा 10 हजार तक पहुंचा
शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद म्यांमार में भारी तबाही हुई है। मौत का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो सकता है। यह आशंका यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने जताई है। भूकंप के झटके थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन और भारत तक महसूस किए गए थे। म्यांमार में शुक्रवार सुबह 11:50 बजे 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। म्यांमार और थाईलैंड में यह 200 साल का सबसे बड़ा भूकंप है। भारी तबाही के चलते म्यांमार के 6 राज्यों और पूरे थाईलैंड में इमरजेंसी लगा दी गई है।
राहत सामग्री में यह सब चीज़ें शामिल
राहत सामग्री में कई जरूरी चीजें शामिल हैं। टेंट और स्लीपिंग बैग लोगों को रहने के लिए जगह देंगे। कंबल उन्हें ठंड से बचाएंगे। तैयार भोजन और पानी शुद्ध करने वाले उपकरण खाने-पीने की समस्या दूर करेंगे। स्वच्छता किट लोगों को साफ रहने में मदद करेंगे। सोलर लैंप और जेनरेटर सेट रोशनी देंगे। दवाओं से बीमार लोगों का इलाज होगा। दवाओं में पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक, सिरिंज, दस्ताने और पट्टियां शामिल हैं।
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