कार्यालयी हिंदी के प्रयोग, प्रचार- प्रसार एवं वर्तमान समय में इसके प्रयोग में आने वाली दिक्कतों एवं चुनौतियों पर आधारित इस कार्यशाला में दो सत्र हुए जिसमें महाविद्यालय के सभी शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक सदस्यों ने भाग लिया।
दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत से कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो भावना पाण्डेय जी ने अपने स्वागत वक्तव्य में हिंदी को भारत की प्रमुख पहचान के रूप में रेखांकित करते हुए कार्यालयी हिंदी की उपयोगिता और महत्त्व पर प्रकाश डाला। अतिथियों को अंगवस्त्र एवं पौधा दे कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की राष्ट्र उपयोगी गतिविधियां विभाग में निरंतर आयोजित होती रहनी चाहिए। इसके लिए प्रोत्साहित भी किया।
मंच संचालन कर रहे डॉ. अतुल वैभव जी ने विशिष्ट अतिथि श्री ऋषि कुमार शर्मा जी का परिचय देते हुए उन्हें उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया। हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उप सचिव ऋषि कुमार जी ने अपने उद्बोधन में भाषा और उसके उच्चारण की शुद्धता पर बात करते हुए यह स्पष्ट किया कि हिंदी अकादमी का उद्देश्य हिंदी भाषा की उन्नति है। प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ जी ने कार्यालयी हिन्दी के सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्ष पर अपने मूल्यवान विचार साझा करते हुए, कार्यालयों में हिन्दी भाषा के प्रयोग की संभावनाओं एवं चुनौतियों पर भी चर्चा की। सत्र की समाप्ति के बाद हिन्दी विभाग की प्रभारी डॉ. नीरू जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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द्वितीय सत्र का आरंभ मुख्य वक्ता श्री अनुराग अन्वेषी जी के स्वागत से हुआ। डॉ. अंजली कायस्था जी ने अनुराग अन्वेषी जी का स्वागत किया। अन्वेषी जी ने अपने वक्तव्य में कार्यालयी हिन्दी के व्यावहारिक पक्षों की जानकारी देते हुए शब्दों के नवाचार पर ध्यान आकृष्ट करवाया साथ ही शब्दों के सही प्रयोग को तमाम उदाहरणों के माध्यम से समझाया।सत्र की समाप्ति पर प्रो पवन सचदेवा जी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया।
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