बॉलीवुड में अपनी खूबसूरती और शानदार एक्टिंग से लाखों- करोड़ों लोगों का दिल जीतने वाली एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को भला कौन नहीं जानता। हसीना ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई, तो अब वह संन्यासी हो गई हैं। 25 साल बाद भारत लौटी ममता ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम तट पर पिंडदान किया। जिसके बाद वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं और अब उनकी पहचान यामाई ममता नंद गिरी के नाम से होगी।
साध्वी के रूप में ममता को मिली नई पहचान
महाकुंभ में ममता साध्वी के रूप में नजर आईं। उन्होंने भगवा वस्त्र पहन रखे थे और गले में रुद्राक्ष की बड़ी माला थी। उनके कंधे पर भगवा झोला भी लटक रहा था। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक यादगार और पवित्र क्षण है।
इस नाम से जानी जाएंगी ममता
ममता कुलकर्णी को अब यमाई ममता नंद गिरि के नाम से जाना जाएगा। जूना अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को दीक्षा दी। अभिनेत्री महाकुंभ में किन्नर अखाड़े में रह रही हैं। अभिनेत्री सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं. उन्होंने महाकुंभ से कई तस्वीरों और वीडियो को साझा किया, जिसमें वह भगवा वस्त्र पहने साध्वियों के साथ खड़ी नजर आईं।
साल 2013 में ममता ने किया था अपना किताब का रिलीज
पूर्व अभिनेत्री ने साल 2013 में अपनी किताब ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी’ का भी विमोचन किया था। यहां उन्होंने बॉलीवुड से अपनी विदाई का कारण बताते हुए कहा था कि कुछ लोगों का जन्म दुनिया में कामों के लिए होता है और कुछ लोगों का जन्म ईश्वर की अराधना करने के लिए।
ममता कुलकर्णी ने संगम तट पर किया अपना पिंडदान
महाकुंभ पहुंचीं ममता कुलकर्णी ने संगम तट पर अपने हाथों से पिंडदान किया। इस दौरान वह भगवा वस्त्र पहने नजर आईं। उन्होंने गले में रुद्राक्ष की दो बड़ी माला पहना और कंधे पर भगवा झोला भी टांग रखा था। इस मौके पर ममता ने कहा, “यह महादेव, महा काली का आदेश था। यह मेरे गुरु का आदेश था। उन्होंने यह दिन चुना। मैंने कुछ नहीं किया।”
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