नई दिल्ली – राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के विवाद को लेकर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई समझौता नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।
NEET परीक्षा का महत्व
NEET परीक्षा देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए अनिवार्य परीक्षा है। इस परीक्षा के माध्यम से लाखों छात्र अपने डॉक्टर बनने के सपने को साकार करते हैं। पिछले कुछ समय से NEET को लेकर कई विवाद उठे हैं, जिनमें परीक्षा की कठिनाई, प्रश्नपत्रों की भाषा, और परीक्षार्थियों की सुरक्षा प्रमुख मुद्दे रहे हैं।
NTA की भूमिका
NTA, जिसे 2017 में गठित किया गया था, NEET के आयोजन की जिम्मेदारी संभालती है। इस एजेंसी का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली परीक्षा का आयोजन करना है, जिससे योग्य और योग्यतम छात्रों का चयन हो सके। लेकिन हाल ही में NTA पर परीक्षा के आयोजन में लापरवाही के आरोप लगे हैं, जिनकी जांच के लिए शिक्षामंत्री ने उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की है।
शिक्षामंत्री का बयान
शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने बयान में कहा, “NEET की परीक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हमारे देश के मेडिकल क्षेत्र की नींव मजबूत होनी चाहिए और इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाली परीक्षाएं आवश्यक हैं। NTA के संचालन और उसकी प्रक्रिया को पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा।”
समिति के गठन का उद्देश्य
यह उच्च स्तरीय समिति NTA के संचालन की समीक्षा करेगी और सुधार के सुझाव देगी। इस समिति में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसका उद्देश्य NTA की प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाना, परीक्षा की विश्वसनीयता बढ़ाना और भविष्य की परीक्षाओं को और अधिक सुगम बनाना है।
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं
शिक्षामंत्री की इस घोषणा के बाद छात्रों और अभिभावकों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है, वहीं कुछ ने समिति के गठन पर सवाल उठाए हैं और इसकी प्रभावशीलता पर संदेह जताया है।
आगे की राह
अब देखना यह होगा कि यह उच्च स्तरीय समिति NTA की कार्यप्रणाली में किस प्रकार के सुधार करती है और NEET परीक्षा को और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में कितना सफल होती है। सरकार का यह कदम शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।