Education Section – 12 January 2024

पशुपतिनाथ मंदिर

🇮🇳 FACTS ABOUT BHARAT 🇮🇳
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Origin of Bangalore

ಬೆಂಗಳೂರು (Beṅgaḷūru). The source of the name Bengaluru is usually attributed to Benga-val-ooru (City of Guards) in Old Kannada or Benda-kaal-ooru (Town of Boiled Beans) from Kannada folklore.

🛕 VEDIK GYAN

Pashupati ( पशुपति ) is believed by Hindus to be an incarnation of the Hindu god Shiva as “lord of the animals”. He is revered by Shaivites throughout the Hindu world In general Pashupatinath means lord of all animals. Paśupati or Pashupatinath, meaning “Lord of all animals”, was originally an epithet of Rudra in the Vedic period and now is an epithet of Shiva.

The Pashupatinath Temple, located at the bank of the river Bagmati, is considered as the most sacred place in Nepal. The mythology hold that Lord Pashupatinath started living in Nepal in the form of a deer, then when he saw the Kathmandu Valley and he was overwhelmed by its beauty.

नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर दूर देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है।

नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर दूर देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के पशुपति स्वरूप को समर्पित है। भगवान शिव का यह धाम यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में भी शामिल है। इतना ही नहीं, यह मंदिर हिन्दू धर्म के आठ सबसे पवित्र स्थलों में से एक है, जिस कारण यहां दर्शन के लिए भारत के ही नहीं, अपितु विदेशों के भी असंख्य श्रद्धालु पहुंचते हैं।

इस मंदिर की सबसे अनोखी बात ये है, यहां स्थापित शिवलिंग 6 फीट ऊंचा व पंचमुखी है। इस पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चार मुख और पांचवां मुख ऊपरी भाग में है। प्रत्येक मुखाकृति के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। सभी मुख अपने आप में कुछ महत्व व नाम लिए हुए हैं। शिवलिंग पर पूर्व दिशा की ओर बने मुख को “तत्पुरूषा”, दक्षिण को “अघोरा”, उत्तर को “वामदेव” तथा पश्चिम दिशा वाले मुख को “साध्योजटा” के नाम से जाना जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर स्थित शिवलिंग के इन मुखों को चार धर्मों व हिंदू धर्म के चार वेदों के चिन्हों के रूप में वर्णित किया जाता है। इसके ऊपर के भाग को ईशान कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार इस शिवलिंग को ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित किया गया था।

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में थे। जब देवताओं ने उन्हें ढूंढकर, वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान उनका सींग टूट कर चार टुकडों में बंट गया। फिर भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे।

मंदिर के निर्माण को लेकर अभी तक कोई प्रमाणित इतिहास तो नहीं मिला, किन्तु कुछ जगह पर यह जरुर लिखा पाया जाता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में करवाया था।

LEARN Sanskrit
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न कालमतिवर्तन्ते महान्तः स्वेषु कर्मसु
na kālamativartante mahāntaḥ sveṣu karmasu ।

Great people never delay their duties.

महान लोग अपने कर्तव्यों में देरी नहीं करते हैं ।

“नाम तुम्हार प्रताप दिनेसा,
सत्यकेतु तव पिता नरेसा।
गुर प्रसाद सब जानिअ राजा,
कहिअ न आपन जानि अकाजा।”

गुरुदेव लिखते हैं कि कपटी मुनि राजा को बताने लगा कि तुम्हारा नाम प्रतापभानु है, महाराज सत्यकेतु तुम्हारे पिता थे। हे राजन् , गुरु की कृपा से मैं सब जानता हूँ, पर अपनी हानि समझकर कहता नहीं….

“देखि तात तव सहज सुधाई,
प्रीति प्रतीति नीति निपुनाई।
उपजि परी ममता मन मोरें,
कहउँ कथा निज पूछे तोरें।”

हे तात, तुम्हारा स्वाभाविक सीधापन (सरलता), प्रेम, विश्वास और नीति में निपुणता देखकर मेरे मन में तुम्हारे ऊपर बड़ी ममता उत्पन्न हो गई है, इसीलिए मैं तुम्हारे पूछने पर अपनी कथा कहता हूँ….

“अब प्रसन्न मैं संसय नाहीं,
मागु जो भूप भाव मन माहीं।
सुनि सुबचन भूपति हरषाना,
गहि पद बिनय कीन्हि बिधि नाना।”

अब मैं प्रसन्न हूँ, इसमें संदेह न करना…
हे राजन् जो मन को भावे वही माँग लो। सुंदर प्रिय वचन सुनकर राजा हर्षित हो गया और मुनि के पैर पकड़कर उसने बहुत प्रकार से विनती की….

“कृपासिंधु मुनि दरसन तोरें,
चारि पदारथ करतल मोरें।
प्रभुहि तथापि प्रसन्न बिलोकी,
मागि अगम बर होउँ असोकी।”

हे दयासागर मुनि,आपके दर्शन से ही चारों पदार्थ (अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष) मेरी मुट्ठी में आ गए। तो भी स्वामी को प्रसन्न देखकर मैं यह दुर्लभ वर माँगकर क्यों न शोकरहित हो जाऊँ….

“जरा मरन दुख रहित तनु समर जितै जनि कोउ।
एकछत्र रिपुहीन महि राज कलप सत होउ॥”

मेरा शरीर वृद्धावस्था, मृत्यु और दुःख से रहित हो जाए, मुझे युद्ध में कोई जीत न सके और पृथ्वी पर मेरा सौ कल्पतक एकछत्र अकण्टक राज्य हो…..
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Pooja Kumari Ms. Pooja,
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