ताजमहल पर भगवा झंडा और गंगाजल चढ़ाने का मामला: विवाद की नई कड़ी

TajMahal

नई दिल्ली: सावन के दूसरे सोमवार को आगरा स्थित ताजमहल में एक अनोखी घटना सामने आई। अखिल भारत हिंदू महासभा की महिला कार्यकर्ता, मीना राठौर, ने ताजमहल की छत पर भगवा झंडा लहराया और गंगाजल चढ़ाने का प्रयास किया। इस घटना ने ताजमहल पर एक बार फिर विवाद को जन्म दे दिया है।

भगवान शिव का आह्वान: मीना राठौर का दावा

मीना राठौर ने दावा किया कि भगवान शिव ने उन्हें सपने में बुलाया और ताजमहल पर गंगाजल चढ़ाने को कहा। उन्होंने ताजमहल को ‘तेजोमहालय’ बताते हुए गंगाजल चढ़ाने की कोशिश की। उनका यह कदम ताजमहल के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को लेकर चल रही बहस में एक नया मोड़ लाने वाला साबित हुआ है।

सुरक्षा में चूक या साहसिक कदम?

मीना राठौर का ताजमहल तक पहुंचना और गंगाजल चढ़ाने का प्रयास सुरक्षाकर्मियों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। जैसे ही सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें देखा, वे तुरंत हरकत में आ गए और मीना को रोककर उन्हें हिरासत में लिया। यह घटना ताजमहल की सुरक्षा पर भी सवाल उठाती है।

अखिल भारत हिंदू महासभा का समर्थन

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रवक्ता संजय जाट ने मीना राठौर का समर्थन करते हुए कहा कि यह उनका अधिकार है कि वे ताजमहल को भगवान शिव का मंदिर बताकर गंगाजल चढ़ाएं। संजय जाट का यह बयान इस विवाद को और भी गर्मा गया है।

विवाद का इतिहास: ताजमहल और ‘तेजोमहालय’

ताजमहल के ‘तेजोमहालय’ होने के दावे को लेकर विवाद नया नहीं है। दक्षिणपंथी समूहों का यह मानना है कि ताजमहल मूल रूप से एक शिव मंदिर था, जिसे बाद में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में मकबरे में बदल दिया। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 2017 में इस दावे को खारिज करते हुए अदालत को बताया था कि ताजमहल एक मकबरा है, न कि मंदिर।

समाज का विभाजन: धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

यह घटना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। जहां एक तरफ हिंदू महासभा और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों का मानना है कि ताजमहल को शिव मंदिर के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, वहीं दूसरी तरफ, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ताजमहल को एक मकबरा ही माना जाता है।

निष्कर्ष: आगे का रास्ता

ताजमहल पर इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि यह स्मारक न केवल भारत की धरोहर है, बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को लेकर समाज में विभिन्न धारणाएं भी हैं। ऐसे विवादों का समाधान केवल ऐतिहासिक तथ्यों और सांस्कृतिक समझदारी के माध्यम से ही संभव है। यह आवश्यक है कि ताजमहल की सुरक्षा को और सुदृढ़ किया जाए और इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

यह घटना ताजमहल के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर चल रही बहस को और गहरा बना देती है। भविष्य में ऐसे विवादों को टालने के लिए सभी संबंधित पक्षों को एक साथ बैठकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

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