शुक्ररानॉ

gratitude 1
वेखे भीख मंगदे ते वेखे नशेड़ी बंदे 
वेखे रईस ऐसे जो करदे काले धंधे
दाता ने दिती मैनु खूब घनेरी छावाँ
फेर क्यूँ न मैं,दाता दा शुक्र मनावाँ
 
क़सीदे कसदे ते रोला है  ये पांदे
न जवे मंदिरां नू ना गुरुद्वारे है जान्दे
टेक मथा मैं सबदी अरदास करावाँ
फिर क्यूँ न मैं दाता दा शुक्र मनावाँ
 
पैसे दी होड़ विच बन गए ये कुतरां
पूजे न रब नू हथ ख़ाली होंन पुत्रां
सब सुख रब दे चरणो में ही पावाँ
फेर  क्यूँ न मैं दाता दा शुक्र मनावाँ
 
वेखे भीख मंगदे ते वेखे नशेड़ी बंदे 
वेखे रईस ऐसे जो करते काले धंधे
दाता ने दिती मैनु खूब घनेरी छावाँ फेर क्यूँ न मैं दाता दाँ शुक्र मनावाँ


सुनील की कलम से

Sunil Kapoor 1
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