राम , अर्जुन और एकलव्य के देश में !

Great tradition of Archery

राजेंद्र सजवान
पिछले सालों की तुलना में भारतीय तीरंदाज इस बार कुछ ज्यादा ही उत्साहित और ऊर्जा से भरे हुए हैं। उनके जोश को देखते हुए यह माना जा रहा है कि पेरिस ओलम्पिक में भारत को तीरंदाजी में दो-तीन पदक मिल सकते हैं। विश्व कप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले अभिषेक वर्मा ने एक साक्षात्कार में यहां तक कहा कि पेरिस ओलम्पिक में एक बार खाता खुला तो हमारे तीरंदाज पदकों की झड़ी लगा देंगे।

राम, अर्जुन और एकलव्य के देश में :
जी हां, आप ठीक फरमा रहे हैं अभिषेक जी। बस बात खाता खुलने की ही है जो कि 36 साल से खुल नहीं रहा। यह हाल उस देश का जिसने राम, अर्जुन और एकलव्य जैसे धनुर्धर पैदा किए हैं। 1988 के सियोल ओलम्पिक में भारत ने पहली बार भाग लिया। चार साल बाद 1992 के बार्सिलोना ओलम्पिक में लिम्बा राम पदक के एकदम करीब पहुंचे लेकिन चूक गए। यही अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन है। आगे भी लिम्बा ने प्रयास किए पर कामयाबी नहीं मिल पाई। उनके बाद की पीढ़ी के तीरंदाजों ने विश्व और एशियाई स्तर पर पदक जीते लेकिन ओलम्पिक खेलों में नाकाम रहे। एक बार फिर छह भारतीय तीरंदाज ओलम्पिक में खाता खोलने के इरादे से जा रहे हैं। उनका जोश हमेशा की तरह सातवें आसमान पर है। तरुणदीप राय और दीपिका कुमारी चौथी बार ओलम्पियन कहलाएंगे लेकिन एक बार भी उनके तीर निशाने पर नहीं रहे। संभवतया यह उनका आखिरी ओलम्पिक होना चाहिए। उन पर सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं लेकिन पदक नहीं जीत पाए। पुरुष तीरंदाजों में तरुणदीप राय, धीरज और प्रवीण जाधव जबकि महिला वर्ग में दीपिका, भजन कौर और अंकिता चौधरी चुनौती पेश करेंगे। देखना यह होगा कि दक्षिण कोरिया, अमेरिका, इटली, फ्रांस, इंग्लैंड, मैक्सिको, चीनी ताइपे आदि देशों के सामने हमारे तीरंदाज कब तक टिक पाते हैं।

लिंबा राम की हाय:
हालांकि भारतीय मीडिया, तीरंदाजी महासंघ, उसके कोच और तमाम एक्सपर्ट बड़ी-बड़ी हांक रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। बार-बार दावे किए जाते हैं और हेकड़ी हांकी जाती है लेकिन हर बार ओलम्पिक से खाली हाथ लौट आते हैं। अब तो कुछ लोग यह भी कहने लगे हैं कि भारतीय तीरंदाजी को उसके दीन-हीन आदिवासी चैम्पियन लिम्बा राम की ‘हाय’ लगी है जो कि पिछले कई सालों से बिस्तर पकड़े हुए है। लेकिन उनकी खैर-ख्वाह पूछने वाले कम ही हैं। वह कुछ साल पहले तक राष्ट्रीय कोच भी रहे और अपने जीते जी भारत की झोली में ओलम्पिक गोल्ड देखने की तमन्ना रखते हैं।
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