रंगीन कॉटन कैंडी पर लगाया इस राज्य ने पाबन्दी-

This state imposed ban on colored cotton candy

तमिलनाडु. बचपन में सभी की पसंदीदा रंगबिरंगी कॉटन कैंडी जिसे आम भाषा में लोग बूढ़ी की बाल या गुड़ियाँ के baalभी कहते हैं, पर तमिलनाडु और पुडुचेरी ने पाबन्दी लगा दिया हैं। बता दें कि बैन होने के पीछे का कारण इसमें डाले जाना वाला केमिकल को इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है। बचपन में सभी की पसंद रही कॉटन कैंडी बेचने पर तमिलनाडु और पुडुचेरी में प्रतिबंध लग गया है।

अमेरिका में बनी थी पहली बार कॉटन कैंडी-

रूई की तरह दिखने वाली कई रंगों में बनी कॉटन कैंडी दुनियाभर में अलग-अलग नामों से जानी जाती है। कोई इसे फेयरी फ्लॉस के नाम से जानता है तो कोई गुड़िया के बाल तो कोई बुढ़िया के बाल के नाम से इसे जानता है। वहीं देश के किसी भी कोने में ये आपको आसानी से मिल जाएगी, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पहली बार ये भारत में नहीं अमेरिका में बनी थी और इसे बनाने वाले एक डॉक्टर थे।

कॉटन कैंडी नाम पड़ने के पीछे ये हैं कहानी-

अब हर नाम के पीछे भी कोई ना कोई कहानी जरुर होती है। पहले इसे फेयरी फ्लॉस नाम से पहचाना जाता था, फिर इसका नाम फेयरी फ्लॉस से कॉटन कैंडी क्यों पड़ा, बता दें कि कॉटन कैंडी के जनक विलियम्स जेम्स मॉरिस को माना जाता हैं। दरअसल,हुआ यूं कि साल 1921 में विलियम्स जेम्स मॉरिस ने ध्यान देखा कि चीनी को मशीन में घुमाया जाता है, जिससे वो रूई जैसा आकार ले लेती है। बस तब उन्होंने इस मिष्ठान का नाम कॉटन कैंडी कर दिया। पर ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है जहां इसे आज भी “फेयरी फ्लॉस” के नाम से जाना जाता है।

तमिलनाडु और पुडुचेरी में प्रतिबंध के पीछे का कारण-

तमिलनाडु में इस पर रोक लगा दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री एम सुब्रमण्यम ने 17 फरवरी को जारी एक प्रेस रिलीज में इस बात की जानकारी दी। वहीं पुडुचेरी में सरकार ने इसके प्रतिबंध के पीछे का मुख्य कारण कॉटन कैंडी के निर्माण में जहरीले रसायनों का उपयोग किया जाना बताया है। उनका कहना है कि अब इसमें ऐसे कैमिकल डाले जाते हैं जो सेहत के लिए गंभीर नुक़सान पहुंचा सकते हैं।

वहीं पुडुचेरी की राज्यपाल का कहना है कि इसमें रोडामाइन बी नामक केमिकल का प्रयोग किया जाता है जिसका उपयोग कपड़ा उद्योग में किया जाता है। यह जहरीला केमिकल है जो कैंसर का कारण बन सकता है, जिसके चलते इसे बैन किया गया है।

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