कुछ दिन पहले तक भारतीय फुटबाल आका, फेडरेशन, उसके जी हुजूर, कोच और हमारे अति उत्साहित कमेंटेटर जब तब राग अलाप रहे थे कि भारतीय फुटबाल टीम ने लगातार 12 मैचों में अजेय रहने का जो रिकार्ड बनाया उस पर देश के फुटबाल प्रेमियों को गर्व करना चाहिए। सच्चाई यह है कि भारतीय फुटबाल के करवट बदलने की प्रतीक्षा कर रहे देशवासियों ने ऐसा किया भी । उन्हें लगा कि भारतीय फुटबाल बदल रही है और अब वह दिन दूर नहीं जबकि हमारे खिलाड़ी एशियाड और ओलंपिक जैसे आयोजनों में धमाल मचा देंगे और जल्दी ही वर्ल्ड कप का टिकट पा जाएंगे।
लेकिन लगातार पराजयों के चलते मलेशिया के हाथों एक और पराजय के जुड़ने से भारतीय फुटबाल का रिकार्ड खराब हो गया है। चूंकि हमारे फुटबाल एक्सपर्ट और जी हुजूर कमेंटेटर ब्लू टाइगर्स की हर अदा पर फिदा रहते हैं, इसलिए उन्होंने मर्डेका कप में मेजबान मलेशिया के हाथों हुई 2 – 4 की हार पर अनाप शनाप उगलना शुरू कर दिया है। हमारे दिग्गज रेफरी और ग्राउंड कंडीशन का रोना रो कर अपनी फुटबाल को बचाने की भरसक कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन आम भारतीय फुटबाल प्रेमी समझ गया है कि झूठ और आडंबर से बात नहीं बनने वाली। भारत को यदि दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल में सम्मान पाना है तो आज और अभी से शुरू से शुरुआत करनी होगी।
यह ना भूलें कि मलेशिया की फीफा रैंकिंग 134 है, जबकि भारत 102 पर है। अर्थात इस हार से भारतीय फुटबाल की गरिमा पर गहरी चोट पहुंची है। भले क्रोशिएशन कोच साहब कुछ भी कहें, कैसे भी अपने खिलाड़ियों का बचाव करें और अपनी कुर्सी को सलामत रखने के लिए कोई भी झूठ बोले लेकिन अब आम फुटबाल प्रेमी अपने फुटबाल आकाओं को समझ गया है। भले ही कोई भी बहाना बनाया जाए लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय फुटबाल का अमृत काल सालों और मीलों दूर है।
एशियाई खेलों में हमारे खिलाड़ियों ने देश के मान समान को चार चांद लगाए । कई खेलों में सुधार नजर आया है लेकिन रोंदू फुटबाल लगातार पिछड़ रही है। विभिन्न आयुवर्गों में लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। बेशक, खेल मंत्रालय, साई और एआईएफएफ को गंभीरता दिखाने की जरूरत है। जिम्मेदार लोगों को जानना होगा कि बीमारी कहां है और क्यों ब्लू टाइगर्स मेमनों की तरह मिमिया रहे है? यह भी पता करें कि कोच, सीनियर खिलाड़ी और सरकारी विभाग फुटबाल प्रेमियों को बेवकूफ तो नहीं बना रहे!
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |