मैं ऐसी क्यों हूं।
क्यों खुश हो जाती हूं मैं आपकी खुशी देखकर
क्यों हो जाती हूं मैं हताश आपको उदास देखकर
चैहक सी उठती हूं मैं क्यों
जब मिलने की बारी आती है,
पर क्यों मिलने के बाद घंटों नींद नहीं आती है।
आंखें बंद करने से क्यों आपकी याद आती है
पर जब आंखें खुलती है तो क्यों फिर आप सामने आती हो।
आंसू आपके टपकते हैं तो मैं क्यों सिसकती हूं।
जरा सी आप हंसती हो तो मैं क्यों निखरती हूं।
जब भी देखती हूं आपको बस यह
सोचती हूं।
पूछूं आपसे या आपसे कहूं,
रखू दिल में या बात कह दूं,
सुनो जरा बस इतना बताओ,
मैं ऐसी क्यों हूं
मैं ऐसी की हूं।।
मन की आवाज कहलाए कलम से
रोज़ी।