भारतीय खिलाड़ियों के हाल फिलहाल के प्रदर्शन से उत्साहित सरकार, खेल मंत्रालय, ओलंपिक संघ, खेल संघ, बड़े औद्योगिक घराने और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने वाली कंपनियां कह रही हैं कि भारत खेल महाशक्ति बनने जा रहा है। इस नई सोच का विचार विश्वविजेता नीरज चोपड़ा, प्रज्ञानानंद , कुछ एथलीटों, बैडमिंटन खिलाड़ियों, वेटलिफ्टिरों और पहलवानों के हाल के प्रदर्शन से उपजा है। वर्षों से पदक और प्रतिष्ठा के लिए तरस रहे भारतीय खेलों में जैसे जान पड़ गई है। लेकिन क्या छुट पुट सफलताओं से उत्साहित होना और यह कहना कि हम विश्वविजेता बनने जा रहे हैं, जल्दबाजी नहीं होगी?
सही मायने में हमारे पास यदि गर्व करने वाली कोई उपलब्धि है तो वह निसंदेह भालाफेंक का विश्व और ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा है। नीरज के पास हर बड़े से बड़ा खिताब है। लेकिन उसके जैसे कितने खिलाड़ी हैं, जिनकी कामयाबी पर हम हुंकार भर सकते हैं और चैंपियन देशों से टक्कर लेने का दावा कर सकते हैं? बस एक एथलीट, एक वेटलिफ्टर, एक दो बैडमिंटन खिलाड़ी, कुछ पहलवान और मुक्केबाज । हमारे पास और क्या है, जिनके दम पर हम बार बार खेल महाशक्ति बनने का ढोल पीट रहे हैं?
ओलंपिक , एशियाड और और अन्य बड़े आयोजनों की पदक तालिका पर नजर डालें तो हमारे खिलाड़ी कुछ एक खेलों में ही पदक जीत पाते हैं। मान लिया कि कुश्ती, बैडमिंटन, मुक्केबाजी , वेटलिफ्टिंग , निशानेबाजी और कुछ एक अन्य खेलों में भारतीय खिलाड़ी पदक जीत रहे हैं लेकिन केवल दस फीसदी खेलों में एक दो पदक जीतना काफी नहीं है। एथलेटिक में सिर्फ एक नीरज चोपड़ा पर इतरा रहे हैं लेकिन तैराकी और जिम्नास्टिक में एक भी पदक जीतने वाला नहीं है। इन तीन खेलों में सबसे ज्यादा पदक दांव पर होते हैं और जो देश पदक तालिका में टाप पर हैं ज्यादातर पदक इन खेलों में जीत कर ले जाते हैं। बाकी के खेलों में भी हमारी स्थिति बेहद दयनीय है।
जानकारों का मानना है कि जिस दिन हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में कम से कम दस गोल्ड जीतने की स्थिति में होंगे , उस दिन पहले पांच चैंपियन देशों में स्थान बनाने का दम भर सकते हैं। फिलहाल अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा ही कसौटी पर खरे उतरे हैं। फिरभी यदि कुछ लोगों को लगता है कि हमारे खेल और खिलाड़ी सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो चंद सप्ताह बाद आयोजित होने वाले एशियाई खेलों और साल भर बाद आयोजित होने वाले ओलंपिक तक इंतजार करें। हम कितने पानी में हैं पता चल जाएगा।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |