चाहे इसे विनेश फोगाट का दुर्भाग्य कहें या अंतिम पंघाल , उसके परिवार , गुरु और चाहने वालों की आस्था, विश्वास और प्रार्थना , अंतिम अब 53 किलो भार वर्ग में देश की प्रथम महिला पहलवान के बतौर ग्वांगझाउ एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही है। उसने जो सपना देखा था वह पूरा होने जा रहा है।
एशियाई खेलों के पुरुष और महिला फ्रीस्टाइल वर्ग में क्रमश बजरंग और विनेश को सीधा प्रवेश दिए जाने पर बड़ा हंगामा मचा था। इस फैसले पर हर वर्ग में जमकर कहा सुनी हुई। इसमें दो राय नहीं कि बजरंग और विनेश का कद बहुत बड़ा है और दोनों की उपलब्धियों को कमतर नहीं आंका जा सकता लेकिन खेल की समझ रखने वाले उभरते खिलाड़ियों को अवसर देने के पक्षधर सुजीत कलकल और अंतिम पंघाल को मौका देने की मांग कर रहे थे। फिलहाल विनेश का दुर्भाग्य अंतिम का सौभाग्य बना है।
विनेश ने खुद कहा कि उसके घुटने में चोट है, जिसकी सर्जरी होने जा रही है। सीधा सा मतलब है कि रिजर्व खिलाड़ी अंतिम को अपने पहले एशियाई खेलों में भाग लेने का मौका मिल रहा है। जाहिर है वह वर्ल्ड चैंपियनशिप के ट्रायल में भी भाग नहीं ले पाएगी, जोकि 25 और 26 अगस्त को पटियाला में होनी तय है। 2018 के जकार्ता एशियाड में विनेश ने देश के लिए गोल्ड जीता था। अब अंतिम से उम्मीद की जा रही है। ट्रायल में उसने पांच कुश्तियां जीत कर अपनी काबिलियत साबित की है।
हिसार के भगाना गांव की चार बहनों में यह पहलवान चौथे नंबर की है , इसलिए अंतिम नाम पड़ा है । वह सीनियर वर्ग में प्रवेश से पहले ही विश्व विख्यात हो चुकी है। उसने अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर नाम कमाया। यह उपलब्धि पाने वाली वह पहली भारतीय महिला पहलवान है। अर्थात अंतिम अब साक्षी मलिक और विनेश के नक्शे कदम पर चल कर बड़ी उपलब्धियां पाने की ओर अग्रसर है। शायद भाग्य भी उसके साथ है। एशियाई खेलों और तत्पश्चात वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीत कर वह श्रेष्ठ महिला पहलवानों की कतार में शामिल हो सकती है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |