माँ की छवि अनुपम सबसे महान
ईश्वर में विलुप्त है उसका ध्यान
माँ उत्कृष्ट रूप गुणवती कांतिमान
चेहरे पर सदेव माँ के रहती मुस्कान
अत्युत्तम शालीन है अभिव्यक्ति
अपरम पार है माँ की सहन-शक्ति
उपकारक हितेशी मंगलकारक है
संतानमें अविरल अभीष्ट सी भक्ति
प्रीतिपूर्वक तुम हम सबसे मिलती सबको करती हो प्यार अपार
हर रिश्ते को हो निभाती बखूबी
तुम सर्व व्यापी सर्वगुण सर्वाधार
संयोग वियोग नर नारी का
यही समझती जीवन का सार
आत्मा अनंत सर्वेश्वर है
अमर अजर आदित्य निर्विकार
माँतुम विध्याज्ञान की करती व्रिधि
अविध्या का करती हो बहिष्कार
सत्य मार्ग पर चलो ये देती शिक्षा
सब कार्य करती हो धर्मांनुसार
संतान से करती हो प्रेम अगाध
पति परमेश्वर का मानो है रूप
ईश्वर में रखती आस्था अथाह
कहती , सब जन हैं एक स्वरूप
परित्याग बलिदान की मूरत हो तुम
पूजे माँ तुमको को सारा संसार
ईश्वर भी बना कर तुमको
खुद ही हो गया बेरोज़गार
माँ को अर्पण एक कविता Mother’s Day per
सुनील की कलम से