एशियाई देशों के खिलाड़ियों के लिए आगामी कुछ महीने बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं, क्योंकि महाद्वीप के सबसे बड़े खेल मेले का आयोजन चीन में होने का रहा है, जिसमें तमाम मान्यता प्राप्त खेलों में पदकों के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा।
इधर भारतीय खेल भी तैयारी में जुट गए हैं। सरकार और खेल संघ अपने स्तर पर खिलाड़ियों को साधन सुविधाएं दे रहे हैं लेकिन कुछ खेल ऐसे हैं जिनमें भीतराघात, गुटबाजी और अनुशासनहीनता का खेल जोर शोर से खेला जा रहा है। जहां एक ओर, हॉकी, एथलेटिक, तीरंदाजी, कुश्ती, मुक्केबाजी, टेनिस, बैडमिंटन, आदि खेलों में खिलाड़ी और कोच पदक जीतने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाए हैं तो दो ऐसे खेल भी हैं जिनमें गुटबाज एक दूसरे की टांग खिंचाई पर लगे हैं। ये खेल हैं कराटे और तायक्वांडो।
कराटे और तायकवांडो उन मार्शल आर्ट्स खेलों में शुमार हैं जिनकी लोकप्रियता का जवाब नहीं है। लेकिन ये खेल जितने लोकप्रिय हैं उतने ही विवादास्पद भी हैं , क्योंकि इन खेलों का या तो कोई माई बाप नहीं या इनके कई बाप हैं, जोकि अपने अपने तरीके से खेल को चला रहे हैं।
जहां तक कराटे की बात है तो इस खेल में वर्षों से लूट का खेल चल रहा है। फिलहाल, इस खेल में ए आई के एफ, के ए आई और के आई ओ खुद को कराटे की मान्य संस्था बता रहे हैं। पिछले दिनों कोर्ट के निर्देश पर खेल मंत्रालय को कराटे का झगड़ा सुलटाने और एशियाई खेलों के लिए टीम चुनने का निर्देश दिया। भारतीय खेल प्राधिकरण की निगरानी में ट्रायल आयोजित किए गए और खानापूरी कर दी गई।
पता चला है कि वर्ल्ड कराटे से मान्यताप्राप्त एक गुट चयन प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है और हर संभव टीम को भाग लेने से रोकने की कोशिश में लगा है। जाहिर है खिलाड़ी और अधिकारी असमंजस में हैं। ठीक इसी तरह के हालात का सामना तायकवांडो को भी करना पड़ रहा है।
तायकवांडो में भी कई गुट सक्रिय हैं। हर कोई अपनी चौधराहट के लिए खेल बिगाड़ने पर लगा है। यहां भी खेल मंत्रालय, आई ओ ए और फेडरेशन एक दूसरे का मुंह ताकते रहे और बेखौफ होकर एक की बजाए दो टीमें चुन ली गई हैं। पता नहीं कौनसी टीम एशियाड में उतरेगी या कोई भी नहीं । जिमी जगतियानी, नामदेव, इशारी और प्रभात की अगुवाई वाले चार धड़े तायकवांडो पर अपना दावा ठोक रहे हैं। ऐसे में यदि कोई तालमेल नहीं बैठा तो तायकवांडो भी एशियाड में भाग नहीं ले पाएगा।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |