‘ न सांप मरा और न लाठी टूटी’, भारतीय कुश्ती के विश्व कुख्यात प्रकरण पर शायद विराम लग गया है। यह भी हो सकता है कि मिर्गी के दौरे की तरह फिर किसी पर सनक सवार हो जाए लेकिन फिलहाल सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है।
ब्रज भूषण ने शायद ही सोचा होगा कि जो पहलवान उनकी हुंकार से खौफ खाते थे, इस कदर आक्रामक भी हो सकते हैं। उनके लिए पहलवानों , कोचों, अधिकारियों और यहां तक कि चाटुकार मीडियाकर्मियों को डराना धमकाना हंसी खेल था। हो सकता है उनका यह स्वभाव कुश्ती की कामयाबी का पुरस्कार हो। इसमें दो राय नहीं कि ब्रज भूषण ने कुश्ती के लिए काफी कुछ किया है। स्पांसर जुटाने और पहलवानों को सुविधाएं बांटने में उनके काम को खूब सराहा गया।
यदि पहलवानों का आंदोलन फुस्स हो गया है और ब्रज भूषण को अभयदान मिल गया है तो यह मान लेना चाहिए कि भारतीय कुश्ती फिर से पटरी पर लौट आएगी। लेकिन क्या पहली सी रफ्तार पकड़ सकती है या कुछ वक्त भी लग सकता है। यह सही है कि आंदोलनकारी पहलवानों को फार्म पाने में समय लगेगा लेकिन क्या वे पहले सा कौशल दिखा पाएंगे और फिर से पदक जीतने का सिलसिला शुरू कर पाएंगे? यदि ऐसा कर पाए तो उनकी फिर से वाह वाह होगी और कुश्ती प्रेमी उनके गलत सही को भुला कर नए सिरे से राय कायम कर सकते हैं। लेकिन यदि पहले सा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो मौका ताड़ रहे उनके विरोधियों के सुर ऊंचे हो सकते हैं।
जहां तक पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष ब्रज भूषण की बात है , उन्होंने राहत की सांस जरूर ली है लेकिन पाक साफ होने का सर्टिफिकेट न तो मिला है और ना कभी मिल पाएगा। उन पर अस्सी से अधिक मामले बताते हैं। लेकिन महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप बेहद घृणित है, जिससे पार पाने में यह जन्म खप जाएगा।
नाबालिग महिला पहलवान को यदि बयान बदलने के लिए मजबूर किया गया है तो इसका यह मतलब नहीं कि वे कुश्ती के महान संत के रूप में याद किए जाएंगे। पहलवानों को अपनी औलाद बताने वाले इन महाशय को आगे भी कठिन समय गुजारना पड़ सकता है। वक्त का क्या पता कब कौन धरा जा सकता है। पाप और पुण्य का फैसला यहीं होना है तो सत्ता के बदलाव पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। यदि उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया तो उनकी आने वाली पीढ़ियों को कुश्ती पर राज करने से कोई नहीं रोक सकता।
यह सही है कि पहलवानों का मामला कोर्ट में है और कोर्ट ही दूध का दूध करेगा लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हर नागरिक ब्रज भूषण के साथ साथ पहलवानों को भी धिक्कार रहा है। उन पर कुश्ती के साथ घिनौना मजाक करने का इल्जाम लगा रहा है। आरोपी और पहलवानों पर देश का समय और मशीनरी को बर्बाद करने के आरोप लगाए जा रहे हैं । दुनियाभर में भारत की जगहंसई हुई सो अलग है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |