रेल का खेल: आंदोलकारी पहलवानों पर मेहरबानी क्यों?

bajrang punia

भारतीय खेल इतिहास के सबसे बड़े और शर्मनाक आंदोलन की तपिश लगभग ठंडी पड़ चुकी है । पहलवानों के गृहमंत्री अमितशाह से मिलने और ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद भी हालाँकि आंदोलनकारी पहलवान फिर से सड़क पर उतरने के लिए हुंकार भर रहे थे लेकिन उन्हें शायद जल्दी समझ आ गई है कि ऐसा करने से उन पर भी मामला बन सकता है और नौकरी भी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो रेल विभाग में कार्यरत पहलवानों बजरंग पूनिया , साक्षी मलिक , विनेश फोगाट और संगीता फोगाट ने अब अपने अपने विभाग का काम संभाल लिया है।

इसमें दो राय नहीं कि एक तीर से दो निशाने लगाए गए हैं । पहला यह कि महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरे कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह को पाक साफ़ बचा लिया गया है । दूसरे , पहलवानों को नौकरी का भय दिखा कर मुख्य धारा से जोड़ा गया है । सूत्रों से पता चला है कि बजरंग पूनिया को दिल्ली सरकार में उसकी मनचाही पोस्ट मिलने वाली है । बजरंग डेपुटेशन पर
दिल्ली सरकार में जाना चाहता था , उसकी फाइल दौड़ पडी है । उनकी पत्नी संगीता उत्तर रेलवे में कार्यरत हैं । संभवतया संगीता को भी लाभान्वित किया जाएगा । ओलम्पिक पदक विजेता साक्षी मलिक और विनेश फोगाट उत्तर रेलवे के खेल विभाग में ओएसडी के पद पर कार्यरत हैं । सूत्र बताते हैं कि दोनों ही चैम्पियन पहलवानों को उनके पसंदीदा पद पर अतिरिक्त अधिकार दे दिए गए हैं ।

लेकिन आंदोलनकारी पहलवानों की तरक्की से जिन खेल कर्मियों और अधिकारीयों पर असर पड़ा है उसकी भरपाई कौन और कैसे करेगा ? ज़ाहिर है इस उठा पटक के बाद रेल विभाग में कुछ बदलाव भी होंगे , कुछ जमे जमाए और बेहतर काम करने वाले पूर्व खिलाडियों को बेवजह सजा देना कहाँ तक सही है इसका जवाब रेलवे को देना होगा । कुछ खिलाडी तो अभी से कहने लगे हैं कि सरकारी नौकरी के सेवा नियमों से खिलवाड़ करने वालों को दबाव में लाभान्वित किया जाना सरासर गलत ही नहीं नियम विरुद्ध भी है | उल्लेखनीय है एक पूर्व ओलम्पियन ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नियम विरुद्ध जाकर और सरकार पर दबाव बना कर लाभ कमाने का यह असंवैधानिक फार्मूला सरासर गलत है ।

उल्लेखनीय है की भारतीय रेलवे देश के चैम्पियन खिलाडियों की शरण स्थली मानी जाती है । रेल विभाग में सभी खेलों के बड़े छोटे खिलाडियों को रोजगार मिलता है लेकिन आज जैसी स्थिति का सामना शायद ही कभी करना पड़ा होगा । असंतुष्ट विभाग पर ऊपर से दबाव बता रहे हैं।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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