भारतीय खेलों को झकझोरने वाले महिला पहलवानों का विवाद दिन पर दिन देशव्यापी होता जा रहा है। नतीजा क्या रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि खिलाड़ियों के साथ साथ राजनीति के खिलाड़ी इस विवाद में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं । देखा जाए तो मामला खेल और राजनीति के खिलाड़ियों का हो गया है,जिसमें बड़े छोटे कई नाम शामिल हो हैं।
देश का मीडिया भी चटखारे ले ले कर खबरों को पेश कर रहा है। या यूं भी कह सकते हैं कि मीडिया को भारतीय खेलों , खिलाड़ियों और उन पर अत्याचार करने वाले खेल मठाधीशों को बचाने, उन्हें चमकाने और झूठ को सच की चादर ओढ़ने में ज्यादा दिलचस्पी है। कोई भी यह जानने समझने की कोशिश नहीं कर रहा कि झूठा कौन, कुसूरवार कौन है और कौन राजनीति कर रहा है और किसे गंदी राजनीति का बड़ा फायदा होने वाला है।
सब कुछ जानते पहचानते देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अपना मत बता दिया । एफआईआर दर्ज हो चुकी है लेकिन पहलवान आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। उन पर पुलिस बर्बरता दिखाए या राजनीति का शिकार बनाया जाए , वे झुकने वाले नहीं हैं। कुश्ती फेडरेशन के विवादास्पद अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह खुद को डंके की चोट पर पाक साफ कह रहे हैं l उधर महिला पहलवान अपने अध्यक्ष को किसी भी कीमत पर यूं ही नहीं छोड़ना चाहेंगी।
ब्रज भूषण दोषी हैं या नहीं फैसला सही जांच और सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। यही सही मौका है जब महिलाओं के यौन शोषण के दोषियों को एक्सपोज किया जाए। मामले और भी कई हैं, जिनकी जांच वर्षों से लटकी है या डरा धमकाकर महिला खिलाड़ियों को शांत किया जाता रहा है। इस वक्त मामला गर्म है और कुछ एक गुनहगार धरे जा सकते । इतना तय है कि अब नहीं तो कभी नहीं।
पिछले कुछ सालों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले लगातार बड़े है। जांच के बाद अक्सर मामलों को झूठ का जमा पहनाया जाता रहा है। ज्यादातर अवसरों पर सरकारों ने अपनी नाक बचाने के लिए भ्रष्ट और बदनाम रिकार्ड वाले अधिकारियों और नेताओं के बचाव में तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखा और मर्यादाओं को तोड़ा है। लेकिन इस बार कदापि नहीं । वरना भारतीय खेल और खेल आका हमेशा हमेशा के लिए उपहास के पात्र बन जाएंगे । सरकारों की थू थू होगी और खिलाड़ियों का विश्वास भी टूट सकता है।
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |