क्यों ऊषा और मेरी पर भरोसा नहीं है महिला पहलवानों को?

indian wrestlers return to protest site after 3 months

जंतर मंतर पर भारतीय महिला पहलवानों का धरना प्रदर्शन जारी है। साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट और अन्य कई नामवर पहलवान और कोच धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं, भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह को बुरा भला कह रहे हैं और कुछ नए प्रयोग करने की ठान चुके हैं। चूंकि पीटी ऊषा और मेरी काम की अगुवाई में गठित सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट गोल मोल हो गई है इसलिए अब एक और कमेटी का गठन किया गया है जोकि 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी। यह समिति भारतीय ओलंपिक संघ की देख रेख़ में गठित की जाएगी। अर्थात समिति- समिति खेल कर भारतीय महिला पहलवानों का मखौल उड़ाया जा रहा है।

भले ही प्रताड़ित पहलवानों ने हार नहीं मानने के ऐलान के साथ मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने और एफआईआर दर्ज करने का ऐलान किया है लेकिन इतना तय है कि मामले को लटकाया जा रहा है।

एक जांच समिति तीन महीने बीत जाने के बाद भी अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाई तो दूसरी से क्या उम्मीद की जा सकती है? बेशक, पीटी उषा और मेरीकॉम से बेहतर की उम्मीद की जा रही थी लेकिन वे भी व्यवस्था के आगे हथिया डाल चुकी लगती हैं। दोनों ही भारतीय खेलों की सर्वश्रेष्ठ और सर्वमान्य एंबेसडर हैं । उनकी खेल उपलब्धियां बढ़ चढ़ कर रही हैं लेकिन धरने पर बैठी महिलाओं को उनसे ज्यादा उम्मीद नहीं है।

ब्रज भूषण शरण पर कोई कार्यवाही नहीं होने से नाराज पहलवानो को अब सुप्रीम कोर्ट का सहारा है। पहलवान सीधे सीधे अपने फेड रेशन अध्यक्ष पर कार्यवाही चाहते हैं। पहलवानों के अनुसार उनके सब्र का बांध टूट चुका है। वे इसलिए न्याय चाहते हैं ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी खुद को खेल से बड़ा समझने की भूल न करे औरचैंपियन महिलों का शोषण न करे।

लेकिन यदि ब्रज भूषण का कोई कुसूर नहीं है और वह पाक साफ हैं तो महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप क्यों लगाए? सीधा सा मतलब है कि पहलवान झूठ बोल रही हैं और जैसा की ब्रज भूषण कह रहे हैं उनके साथ साजिश हो रही है।

कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष और छह बार के सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट भले ही आम नहीं हुई है लेकिन इस खेल में राजनीति का खेल भी जम कर खेला जा रहा है।

कुछ दिन पहले ब्रज भूषण ने कुश्ती फेड का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा भी कर दी है लेकिन असंतुष्ट कह रहे हैं कि उनके लिए सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। हालांकि वे कोई और रास्ता खोज रहे हैं, ऐसा उन्होंने खुद कहा है।

पता नहीं महिला पहलवानों को न्याय मिलेगा या ब्रजभूषण शरण बेकुसूर साबित होंगे लेकिन यह हवा जोरों पर है कि ऊषा और मेरी काम से न्याय की उम्मीद गलतफहमी होगी । कुछ पहलवान कह रही हैं कि दोनों खिलाड़ी से नेता बन गई हैं। एक पहलवान ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कह दिया कि दोनों को सिर्फ अपने स्वार्थों की चिंता है।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
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