दुर्रानी की क्रिकेट पुरानी शराब जैसी थी – सलमान खुर्शीद

salim durani like old wine salman khurshid

“आज की क्रिकेट बीयर के समान है और दुर्रानी की क्रिकेट पुरानी शराब जैसी थी”, पूर्व विदेश मंत्री और सलीम दुर्रानी के प्रिय मित्र सलमान खुर्शीद ने आज यहाँ प्रेस क्लब में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दुर्रानी को याद करते हुए कहा कि मैं भी स्कूल स्तर पर उनके साथ खेला और बहुत करीब से उन्हें देखने समझने का सौभाग्य मिला और पाया कि जो सलीम के पास था हमारे और शायद किसी के भी पास नहीं था । सच तो यह था कि मेरे जैसे बहुत से खिलाड़ी सिर्फ उन्हें खेलते देखना चाहते थे ।

सलीम दुर्रानी के प्रिय मित्र ,मसूदपुर वसंतकुंज निवासी इन्दर मालिक द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दुर्रानी के बचपन के दोस्त जामनगर के वामन जानी , दुर्रानी के दामाद इकबाल लाला, परिवार के अन्य सदस्य , पूर्व क्रिकेटर मदन लाल और वेंकट सुंदरम , जाने माने खेल पत्रकार और क्रिकेट प्रेमी शामिल हुए और सभी ने उन्हें एक बेहतरीन क्रिकेटर के साथ साथ नेक और जिंदादिल इंसान के रूप में याद किया । इन्दर मालिक ने बताया कि वह पिछले चार दशक से सलीम के साथ जुड़े थे । उनके साथ रहना -खाना और पीना उनकी दिनचर्या में शामिल रहे । मालिक के अनुसार दुर्रानी जैसा जिंदादिल इंसान उन्होंने दूसरा नहीं देखा ।

जाने माने क्रिकेट कोच वामन जानी ने दिवंगत आत्मा को अभूतपूर्व क्रिकेटर और यारों का यार बताया । इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अरुण केसरी और राकेश थपलियाल ने दुर्रानी के साथ बिताए कुछ प्रसंगों का उल्लेख किया और उन्हें श्रेष्ठ खिलाडी और बेहतरीन इंसान बताया। वेंकट सुंदरम और मदनलाल ने उनके साथ बिताए पलों का उल्लेख किया और कहा कि वे जितने बड़े क्रिकेटर थे उनका व्यक्तित्व कहीं बड़ा था ।

दो अप्रैल को उनका स्वर्गवास हुआ तो देश के अख़बारों और अन्य प्रचार माध्यमों ने एक भुला दिए गए योद्धा को फिर से याद किया । किसी ने उन्हें सिक्सर का शहंशाह कहा तो किसी ने लिखा कि यदि दुर्रानी आज के आईपीएल युग में होते तो छक्कों की बारिस कर देते लेकिन सलमान खुर्शीद कहते हैं कि सलीम सही मायने में शहंशाह ही था । उसे नवाब पटौदी के कद का भी खौफ नहीं था । एक बार तो
यहाँ तक कह दिया कि नवाब होगा तो अपने घर का क्रिकेट के मैदान में कोई बड़ा छोटा नहीं हो सकता ।

श्रद्धांजलि सभा के आयोजक दुर्रानी के मित्र इन्दर मलिक के अनुसार पिछले चालीस सालों से वे उनके सुख दुःख के साथी रहे । उन्होंने दुर्रानी में एक ऐसे इंसान को देखा जोकि फक्कड़ होते हुए भी जिन्दा दिल था और जिसने मैदान और मैदान के बाहर हर पल का रोमांच उठाया । उसने जीवन में बहुत सी कमियों के बावजूद हौंसले और हिम्मत को बनाए रखा ।

Rajender Sajwan Rajender Sajwan,
Senior, Sports Journalist
Share:

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *