अब हफ़्ते में सिर्फ 4 दिन काम और 3 दिन आराम

Now only 4 days of work and 3 days of rest in a week

‘वर्क फ्रॉम होम’ , यह नाम आज कल काफी ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। अगर इसकी ख्याति की बात की जाए, तो 2020 में भारत में जब कोरोना महामारी अपनी चरम पर था उस वक्त इसकी शुरुआत हुई, या यूं कह सकते हैं की उस वक्त इस शब्द ने सभी के मन में घर करना शुरू कर दिया। जैसा कि इसके नाम ‘ वर्क फ्रॉम होम’ से ही पता चल रहा है की इसका मतलब घर से काम करना होता है। अगर देखा जाए तो, कोरोना महामारी के समय जब लॉकडाउन की वजह से पूरे विश्व के लोग अपने – अपने घरों में कैद रहने को मजबूर थे उस समय ‘वर्क फ्रॉम होम’ का मतलब लोगों को सही मायने में समझ आया। हालांकि काफी लोगों को इसे अपनाने में समय भी लगा और काफी लोग ऐसे भी हैं जो आज भी इसे अपनाने से इंकार कर रहे हैं या इसके विरुद्ध हैं। विश्व के कई बड़े शख्सियतों ने भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ को सही और कारगर बताया है। अब ‘ वर्क फ्रॉम होम’ के जैसे ही एक नई संस्कृति को शुरू करने की तैयारी जोरों पर है। इसमें लोगों को हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम करना होगा और 3 दिन की छुट्टी मिलेगी। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ब्रिटेन में पिछले साल जून में की गई थी जिसमे अलग – अलग सेक्टर्स की कुल 61 कंपनियां शामिल थी। 4 डे वर्किंग कॉन्सेप्ट में शामिल अधिकतर कंपनियों ने इसे अपनाने का ऐलान कर दिया है। इसका अर्थ यह निकलता है कि दफ्तर में काम करने वाले लोगों को अब हफ्ते में 3 दिन की छुट्टियां मिलेंगी।

“सफल रहा वर्क कल्चर में बड़े बदलाव का ट्रायल”
इस पायलट प्रोग्राम को गैर-लाभकारी समूहों ‘फोर डे वीक ग्लोबल’, ‘फोर डे वीक यूके कैंपेन’ और ऑटोनॉमी द्वारा शुरू किया गया था। इसके तहत करीब 3,000 कर्मचारियों को पांच दिन में पूरे किए जाने वाले काम को केवल 4 दिन में करने का आदेश दिया गया था।
इस प्रयोग को ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शिक्षाविदों के साथ-साथ अमेरिका के बोस्टन कॉलेज के विशेषज्ञ भी शामिल थे। बोस्टन कॉलेज के रिसर्च प्रमुख प्रोफेसर जूलियट स्कोर ने कहा, ‘अलग-अलग दफ्तरों से इस ट्रायल के परिणाम उम्मीद के मुताबिक मिले हैं। यह एक नया प्रयोग है, और कुछ संगठनों के लिए सही दिशा है।’

अधिकतर कंपनियां इसे अपनाने के पक्ष में
ट्रायल रिपोर्ट के मुताबिक इसमें शामिल अधिकतर कंपनियां 4 डे वर्किंग रूल को अपने यहां जारी रखने को पूरी तरह से तैयार हैं। वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो करीब 91 फीसदी कंपनियां 4 डे वर्किंग और 3 डे लीव को अपनाने भी जा रही हैं। इस ट्रायल में शामिल केवल 4 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि वह इसे अपनाने के पक्ष में नहीं हैं।

कंपनियों ने इस ट्रायल को अपने अनुभव के आधार पर 10 में से 8.5 की रेटिंग दी है। जहां तक बिजनेस की उत्पादकता और बिजनेस के परफॉर्मेंस की बात करें तो इस ट्रायल को 10 में से 7.5 अंक मिले हैं, वहीं रेवेन्यू दर की बात की जाए तो वहां भी इस ट्रायल का रिजल्ट सफल रहा है। यही नहीं ट्रायल के दौरान की रेवेन्यू भी पिछले साल के समान अवधि की तुलना में 35 फीसदी ज्यादा रही।

4 डे वर्क वीक कैंपेन में बैंकिंग, मार्केटिंग, रिटेल, फाइनेंस समेत कई अन्य सेक्टर के लोग शामिल थे और इस दौरान कर्मचारियों की हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी कम आईं। सप्ताह में चार दिन काम करने वाले नियम के समर्थकों ने कहा कि इससे कंपनियों के उत्पादन में सुधार होगी।

Pooja Kumari Ms. Pooja,
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