इसमें दो राय नहीं कि भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है और अन्य खेलों के मुकाबले उसकी लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है । ऐसा इसलिए है, क्योंकि क्रिकेट के अपने नियम और कायदे कानून हैं, जिनके चलते क्रिकेट ने कभी किसी की परवाह नहीं की । ताज़ा उदाहरण चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा का इस्तीफ़ा है । एक टीवी चैनलके स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के बाद पूर्व फास्ट बॉलर और बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर को पद छोड़ना पड़ा है ।
हालांकि कहा यह जा रहा है कि चेतन ने स्वेछा से इस्तीफ़ा दिया है जोकि सच नहीं है, क्योंकि क्रिकेट किसी भी खिलाडी, कोच, चयनकर्ता या अन्य जिम्मेदारियां निभाने वालों की परवाह नहीं करता । होगा वही जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड के बड़े चाहते हैं । वैसे भी चेतन के आरोप सीधे सीधे भारतीय क्रिकेट को बदनाम करने वाले हैं , जिनको बोर्ड कदापि बर्दाश्त नहीं करेगा । जहां तक अन्य भारतीय खेलों की बात है तो उनमें कई ऐसे प्रकरण सामने आए हैं जिनके चलते उस खेल से जुड़े खिलाडियों , अधिकारीयों और खेल को संचालित करने वाली इकाई पर आरोप लगे और कुछ एक दिन की चिल पों के बाद सबकुछ शांत हो गया । शायद क्रिकेट और बाकी खेलों और उनकी वर्किंग में यही अंतर है ।
जहां तक स्टिंग ऑपरेशन की बात है तो चेतन को यह कहते हुए दिखाया गया है कि कई खिलाडी 80 से 85 प्रतिशत फिट होने के बावजूद जल्द वापसी के लिए प्रतिबंधित इंजेक्शन लेते हैं । बताया जाता है कि चेतन को डाक्यूमेंटी सीरीज का झांसा देकर फुसलाया गया और श्रीमान जी यह भूल गए कि उनके पद की कोई गरिमा है । नतीजा सामने है , उन्हें सांप के बिल में हाथ डालने की सजा मिल गई है । ऑफ द रिकार्ड के नाम पर उनसे बहुत कुछ उगलवाया गया । पता नहीं क्यों पूर्व बोर्ड अध्यक्ष सौरभ गांगुली ,पूर्व कप्तान विराट कोहली , रोहित शर्मा के संबंधों और उनके अहं की लड़ाई पर भी बहुत कुछ बोल दिया , जिसकी कीमत चुकानी पड़ी है ।
चेतन शर्मा के खुलासे के बाद टीम प्रबंधन और खिलाडियों में खलबली मचना स्वाभाविक है लेकिन सब कुछ तुरत फुरत में ठीक ठाक हो गया । वैसे भी चेतन ने ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट सीरीज के चलते गलत वक्त का चयन किया था । उधर दूसरी तरफ भारतीय कुश्ती फेडरेशन और पहलवानों के बीच आरोप प्रत्यारोपों का दौर चला । फेडरेशन अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगे लेकिन किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ । अन्य खेलों में भी महिला खिलाडियों ने अनेकों आरोप लगाए लेकिन किसी भी अधिकारी की पूँछ टेढ़ी नहीं हो पाई और मामले जस के तस लटके पड़े हैं ।
कुछ आलोचक भारतीय क्रिकेट बोर्ड पर तानाशाह होने का आरोप लगाते हैं, जोकि काफी हद तक सही भी है । लेकिन क्रिकेट फल फूल रही है , खिलाडी और टीम नाम सम्मान कमा रहे हैं , खिलाड़ियों को लाखों करोड़ों मिल रहे हैं और उनकी जय जय कार हो रही है। तो फिर मनोज प्रभाकर के बाद चेतन शर्मा के स्टिंग ऑपरेशन से क्या फर्क पड़ गया?
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |