पिछले कुछ दो तीन दिनों से भारतीय फुटबाल में रूचि रखने वाले और खास कर महिला फुटबाल को बढ़ावा देने वाले भारतीय फुटबाल प्रेमी इस बात को लेकर हैरान परेशांन रहे कि अंडर 20 सैफ चैम्पियनशिप में भारतीय टीम का क्या रहा ! समाचार पत्र पत्रिकाओं और सोशल मीडिया पर कोई खबर नजर नहीं आई । इतना जरूर था कि कुछ दिन पहले की खबर के अनुसार भारत ने बांग्लादेश से गोल शून्य ड्रा खेला था। हर हाल में नेपाल से जीतना था ताकि फाइनल में स्थान बना सके । लेकिन नेपाल ने भारतीय टीम को एक के मुकाबले तीन गोल से परास्त कर दिया और अंततः बांग्लादेश ने नेपाल को 3-0 से हरा कर सैफ कप जीत लिया ।
सवाल सिर्फ हार जीत का नहीं है लेकिन आम फुटबाल प्रेमी यह जानना चाहता है कि भारतीय टीम की शर्मनाक हार की खबर को दबाया क्यों गया ? कमजोर टीमों के विरुद्ध बड़े अंतर से जीत मिली तो खूब बखान कर दिया गया । समीकरण यह बन गया था कि भारतीय टीम के फाइनल खेलने की उम्मीद बांग्लादेश और भूटान के बीच खेले जाने वाले मुकाबले पर थी । अर्थात फिसड्डी भूटान यदि चैम्पियन बांग्लादेश को हरा देता तो भारत आगे बढ़ जाता , जोकि संभव नहीं था । खैर बांग्लादेश और नेपाल की महिला खिलाडियों ने भारतीय फुटबाल को हैसियत का आइना दिखा दिया है ।
भारतीय टीम के चयन, प्रदर्शन और टीम प्रबंधन के तौर तरीकों पर देश के जाने माने कोच और एनआईएस के पूर्व निदेशक बीरु मल ने कई सवाल खड़े किए हैं । ढाका से अपनी एक रिपोर्ट में उन्होंने भारतीय प्रदर्शन पर तीखी टिपण्णी की है और जानना चाहा है कि आखिर भारतीय फुटबाल को कब तक शर्मसार होना पड़ेगा । इस संवाददाता को भेजे गए एक पत्र की मार्फत बीरु मल कह्ते हैं कि सैफ कप के नतीजे ने भारतीय महिला फुटबाल की कलई खोल दी है । एक तरफ तो संतोष ट्रॉफी को सऊदी अरब की सैर कराने की बात की जा रही है तो दूसरी तरफ आलम यह है कि भारतीय महिला और पुरुष फुटबाल दुनिया की सबसे कमजोर और पिछड़ी चैम्पियनशिप में देश का नाम डुबो रहे हैं ।
बीरूमल खुद भी कई सालों तक बांग्लादेश की पुरुष टीम के कोच रहे हैं और उनके तैयार किए खिलाडी भारतीय फुटबाल की नाक में दम करते आये हैं । उन्हें हैरानी है कि देश में किस तरह के एन आई एस और लाइसेंस कोच तैयार किए जा रहे है ! उन्हें इस बात की भी हैरानी है कि भारतीय खिलाडियों को बॉल रोकना, पास देना , प्रतिद्वंद्वी खिलाडियों की रणनीति को समझने तक का ज्ञान नहीं है ।
उनके अनुसार भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम का स्तर स्कूल से ऊपर का कदापि नहीं था । उन्हें अभी खेल की बेसिक्स की जानकारी नहीं और स्पीड , स्टेमिना में तो सबसे निचले पायदान पर हैं ।
बीरूमल की राय में एआईएफएफ को 25 साल बाद वर्ल्ड कप खेलने का टारगेट सेट करने से पहले एशियाड खेलने के लिए तैयारी करनी चाहिए और इस काम में आईओए और खेल मंत्रालय से सलाह लेने की जरुरत है।
बेशक भारतीय फुटबाल को ज़ीरो से शुरू करने की जरुरत है। जब तक हम छोटी आयु वर्ग के आयोजनों में नाकाम रहेंगे देश की फुटबाल का भला नहीं होने वाला और वर्ल्ड कप तो सपने में ही खेल पाएंगे !
Rajender Sajwan, Senior, Sports Journalist |